भगवान कृष्ण के रोहिणी नक्षत्र में रात बारह बजे जन्म लेते ही चारों तरफ उल्लास छा जाएगा। जन्माष्टमी का व्रत व उपवास करने वालों के साथ श्रद्धालु भगवान का पूजन करेंगे। प्रभु को पंचामृत से स्नान आदि कराने के बाद उनकी आरती की जाएगी। प्रभु जन्म की खुशी में पंजीरी, पंचामृत और अजमे का प्रसाद बांटा जाएगा।
मंदिरों में प्रवेश की मनाही होने के कारण प्रभु भक्तों ने इस बार घर पर ही बालगोपाल के झूले तैयार किए है। कई लोग इसके लिए बाजार से सजावट का सामान ले गए। वहीं मंदिरों में होने वाली भजन संध्याएं और अन्य कार्यक्रम भी पांच-सात लोगों की उपस्थिति में किए जाएंगे।
जन्माष्टमीे शहर के व्यंटेश मार्ग पर मेला भरता है। यहां स्थित रंगजी मंदिर, रघुनाथ मंदिर, नसिंग भगवान मंदिर के साथ पानी दरवाजा स्थित गोपीनाथ मंदिर के साथ अन्य मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग व प्रवेश कम देने से यहां लगने वाले हाट बाजार में आने वाले व्यापारी भी मंगलवार तक नहीं पहुंचे।