scriptबदलाव की बयार : आत्मनिर्भरता की नई कहानी गढ़ रही मारवाड़-गोडवाड़ की ‘शक्ति’ | Marwar-Godwad's 'Shakti' is forging a new story of self-reliance | Patrika News
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बदलाव की बयार : आत्मनिर्भरता की नई कहानी गढ़ रही मारवाड़-गोडवाड़ की ‘शक्ति’

– वर्तमान में महिलाओं में दिखा खुद का कारोबार शुरू करने का जज्बा- कोरोना के बीच बदली परिस्थितियों के कारण बदला व्यापार का तरीका

पालीSep 24, 2021 / 05:35 pm

Suresh Hemnani

बदलाव की बयार : आत्मनिर्भरता की नई कहानी गढ़ रही मारवाड़-गोडवाड़ की ‘शक्ति’

बदलाव की बयार : आत्मनिर्भरता की नई कहानी गढ़ रही मारवाड़-गोडवाड़ की ‘शक्ति’

-राजकमल व्यास
पाली। कोरोना की पहली व दूसरी लहर ने बाजार की कमर तोड़ दी। कई नौकरीपेशा बेरोजगार हो गए। परिवारों की आर्थिक स्थिति डावाडोल हो गई। ऐसे में नारी शक्ति ने परिवार को सम्बल देनी की ठानी और घरों से ही ऑनलाइन बाजार के साथ खुदरा व्यापार शुरू किया। इनमें से कई महिलाओं ने अपनी अब तक ऑनलाइन बिक्री के साथ खुदरा व्यापार में अपनी धाक जमा ली है।
उनके इस प्रयास का परिणाम यह निकला है कि कई लोग जो अब तक निजी क्षेत्रों में नौकरी या छोटा-मोटा कार्य कर घर खर्च मुश्किल से चला रहे थे। वे अब पत्नी, मां व बेटी के साथ मिलकर उनके व्यापार को नई ऊंचाइयां देने की कोशिश में जुटे हैं। कोरोना के बाद अपने दम पर परिवार का खर्च उठाने के लिए जागने वाली इन महिलाओं का कहना है कि भारत में मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है। वहीं शक्ति हर नारी में है। जरूरत सिर्फ उसे समझने और आगे बढऩे की है फिर कोई राह मुश्किल नहीं रह जाती है। ऐसी ही कुछ महिलाओं की सफल्ता की कहानी…
राजपूती पोशाकों ने दी नई पहचान
कोरोना में बाजार बंद थे तो कुछ नया करने का विचार आया। अपने पति व सहेलियों से चर्चा की तो ऑनलाइन बाजार का विकल्प सामने आया। फिर क्या था, मैंने राजपूती पोशाकों के साथ ही राजपूती चूड़ा का ऑनलाइन व्यापार शुरू कर दिया। राजकोट, जयपुर, जयपुर व सूरत से उत्पाद मंगवाकर इसके फोटो अपने मोबाइल के स्टेटस पर लगाती थी। पहले तो रूझान कम था, लेकिन बाद में इसकी डिमांड बढ़ती गई। आज आलम ये है कि मैं पाली के साथ ही भीलवाड़ा, अजमेर, ब्यावर से लेकर बेंगलूरु तक अपने उत्पाद बेच रही हूं। इससे परिवार को तो सपोर्ट मिल ही रहा है, खुद को भी आत्मनिर्भर बनता देखकर गर्व महसूस होता है। – रेखा सांखला, पाली
हाथ से बने उत्पाद भा रहे मन
पिछले कुछ समय में महिलाएं भी घर की जिम्मेदारी उठाने में आगे आने लगी है। विशेषकर कोरोना के बाद ये बदलाव आया है। हमारा एक महिलाओं का समूह है, जो ऐसी ही महिलाओं को मार्केट मुहैया कराने के लिए प्रदर्शनी लगाते हैं। अभी राखी पर भी प्रदर्शनी लगाई थी, जिसमें जिले के साथ ही ऐसी महिलाओं ने अपने हाथों से बनी राखियों की स्टॉल लगाई थी। खास बात ये है कि मार्केट में भी अब बदलाव आने लगा है और लोग हाथ से बने उत्पादों को खासा पसंद करने लगे हैं। अब दिवाली पर भी ऐसी ही प्रदर्शनी लगाएंगे, जिसमें महिलाओं के हाथों से बने डेकोरेशन के उत्पादों की स्टॉल लगाई जाएगी। इससे महिलाएं अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने में काफी सहयोग कर पा रही है। – रीमा जैन, सखी सहेली, पाली
परिवार का मिला साथ तो बढ़ा हौसला
कोरोना का दौर काफी संघर्षमयी रहा। अपने परिवार की जिम्मेदारी में कुछ सहयोग देने की मंशा से मैंने ऑनलाइन ही साडिय़ां व इमिटेशन ज्वेलरी बेचने का काम शुरू किया। पहले तो परिवार को भी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करना चाहती हूं। लेकिन, जब बाद में ऑनलाइन ऑर्डर मिलने लगे और कुछ आमदनी होने लगी तो परिवार के सदस्य भी मेरा सहयोग करने लगे। इससे मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने ऑनलाइन ही उत्पाद बेचने के लिए सोशल मीडिया पर गु्रप तो बनाया ही, जो भी साडिय़ों व इमिटेशन ज्वेलरी का नया स्टॉक आता है, उसे मैं ऑनलाइन ही परिचितों व ग्रुप मेम्बर्स को शेयर कर देती हूं। इससे आसानी से मुझे ऑर्डर मिल जाते हैं। आज मुझे कमाता देखकर परिवार भी काफी खुश है। – मनीषा केशावत, मारवाड़ जंक्शन
युवतियों में फैशन का खासा क्रेज
आज का दौर बदल चुका है। शहरों की तर्ज पर अब हमारे यहां भी महिलाएं घर की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आने लगी है। चूंकि, मेरी कपड़ों की पसंद काफी अच्छी है तो मेरी सहेलियों व परिवार के लोगों ने इस रुचि को व्यापार में बदलने की राय दी। मुझे लगा तो मैंने इस दिशा में कदम बढ़ाया। इसके लिए पहले तो मैंने लेटेस्ट डिजाइन के लड़कियों के शूट मंगवाए और स्टेटस पर उनके फोटो अपलोड करने शुरू किए। जब रेस्पॉंस अच्छा मिलने लगा तो मैंने भी लड़कियों के शूट ऑनलाइन बेचने का कारोबार शुरू कर दिया। हमउम्र होने से लड़कियों को मेरी पसंद के शूट काफी पसंद आने लगे, जिससे बिक्री भी काफी हो जाती है। विशेषकर शादियों की सीजन में अच्छा मुनाफा हो जाता है। –टीना कोठारी, पाली

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