उल्लू, शेषनाग व लोमड़ी ही नहीं, बहुमंजिला चट्टानें भी मोहती हैं मन
सेन्दड़ा ग्रेनाइट भू वैज्ञानिक स्मारक राष्ट्रीय राजमार्ग 162 पर सेन्दड़ा के समीप मार्ग के दोनों ओर अविस्थत चट्टानों का एक समूह है, जो करीब दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। खास बात ये है कि सेन्दड़ा ग्रेनाइट लगभग 90 करोड़ वर्ष प्राचीन एक प्लूटोनिक आग्नेय शैल है। वायु और जल ने हजारों सालों तक मूर्तिकार के रूप में कार्य करते हुए ये मनमोहक संरचनाएं विकसित की है। यहां पर कई जानवरों की आकृतियां उत्कीर्ण है, जिनमें ऑउल (उल्लू), शेषनाग, लोमड़ी, मशरूम, कछुए के साथ ही बहुमंजिला चट्टानें भी है, जो अनायास ही पर्यटकों का मन मोह लेती है।
बर की चट्टानें भी अनूठी, जैसलमेर में तो पत्थर बन गए पेड़
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रयासों का ही नतीजा है कि देश के पटल पर भू-महत्व के स्मारक मिले हैं। खास बात है कि जीवन के रहस्यों को उजागर करने के महत्वपूर्ण सर्वाधिक जियो पार्क राजस्थान में है। इनमें सेंदड़ा ग्रेनाइट के साथ ही पाली जिले का बर कॉन्गलोमरेट भी है, जो कि डी फॉर्मेशन का जीता जागता नमूना है। इसके अलावा किशनगढ़ नेफेलिन सायनेट, उदयपुर का झामर कोटड़ा स्ट्रेमेटोलाइट पार्क, उदयपुर का राजपुर-दरिबा बेल्ट, जसवंतथड़ा के पास जोधपुर वेल्डेड टफ व जोधपुर का मालानी डालाइट प्रमुख जियो पार्क है। इसके अलावा जैसलमेर का आकल वुड कल्वर्ट पार्क भी अनूठा है, जिसमें करीब 18 करोड़ साल पहले दबे पेड़ अब पत्थर में तब्दील नजर आते हैं।
यहां प्रकृति की जीवंत कारीगरी
सेंदड़ा वैली अपने-आप में अनूठी है। यहां प्रकृति की जीवंत कलाकारी देखने को मिलती है। राष्ट्रीय भू वैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त सेंदड़ा ग्रेनाइट को सहेजने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। इससे पहले नवलसिंह चौहान ने इनके संरक्षण के लिए कदम बढ़ाया था। भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के प्रयास सार्थक साबित हुए तो निसंदेह ये क्षेत्र पर्यटन का बड़ा हब बनेगा।
– रतनसिंह भाटी, सरपंच, सेंदड़ा ग्राम पंचायत
जियो पार्क की प्रचुर संभावना
सेंदड़ा का ग्रेनाइट जियो हैरिटेज पार्क आने वाले समय में एक नया मुकाम हासिल करेगा। इसे 1977 में राष्ट्रीय भू वैज्ञानिक स्मारक घोषित किया गया था। अब इसे राष्ट्रीय भू वैज्ञानिक स्मारक का दर्जा मिल गया है। यहां जानवरों की कई आकृतियां है, जिनमें हजारों साल के रहस्य छिपे हुए हैं। कोशिश कर रहे हैं कि किसी कम्पनी से टाई अप हो जाए। हाइवे के नजदीक होने से पर्यटक आसानी से पहुंच सकेंगे।
– सत्यपाल, निदेशक, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, जयपुर