पुरानी परम्पराएं भी लॉकडाउन ही हैं
वरिष्ठ पत्रकार अनुराग अग्रवाल ने रोजगार की चिंता, तनाव और आपसी नासमझी को महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा की वजह बताया। सुप्रीम कोर्ट बार के सदस्य संदीप राठी ने कहा कि अदालतों में अर्जेंट केस की सुनवाई हो रही है। इसलिए किसी महिला को न्याय का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। पत्रकार दिनेश भारद्वाज ने कहा कि हरियाणा के ग्रामीण अंचल में आज भी पुरानी परंपराओं के चलते अधिकतर महिलाएं अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा लॉकडाउन में ही व्यतीत करती हैं।
गौरव पांचाल ने लॉकडाउन में बिकी अवैध शराब को घरेलू हिंसा की बड़ी वजह बताया। महाराष्ट्र की कृष्णा वानखेड़े ने कहा कि महिलाएं भले ही अपने उत्पीडऩ की कहीं रिपोर्ट दर्ज न कराएं, मगर उनका समाधान जरूरी है। इसके लिए काउंसलर नियुक्त किए जाने चाहिएं। मेवात से पूजा ने कहा कि महिला का सोशलेजाइशेन करना ठीक नहीं है। गुरुग्राम की निर्मला ने न्याय के लिए पिछले 13 साल से लड़ी जा रही लड़ाई का जिक्र किया, जिस पर फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान ने उनकी लड़ाई लडऩे का ऐलान किया।