सुबह वॉक करने के बाद पर्यटकों के समूह के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था गांव में ही की गई थी। यहां उन्हें पंगल में बैठाया गया और दिल के आकार वाले महलौन के पत्तों में ऑवला, अदरक हरी धनियां और अमरूद आदि की चटनी परोसी गई। इसके साथ ज्वार-बाजारा-मक्का के आटे की देशी घी लगी गरमागरम चूल्हे में बनी रोटियां ,चने की भाजी , आलू-भटा का भर्ता और पुराने चावलकी खीर परोई गई। चूल्हे में बने इस इस देशी स्वादिस्ट व्यंजन को पयटकों ने बड़े ही चाव के साथ खाया। नास्ते में मिले गरमागरम भजिये और चाय का स्वाद भी पर्यटकों को बहुत भाया।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से लगे संवेदनशील पारधी बहुल ग्राम रानीपुर के पारधी समाज के ५ युवाओं को गाइड की ट्रेनिंग दिलाई गई थी। इसी प्रकार से चार महिलाओं को होटल ताज सफारी पाषणगढ़ से भोजन पकाने की ट्रेनिंग दिलाई गई। यही लोग पर्यटकों को जंगल की सैर कराने के साथ ही उनके भोजन आदि की व्यवस्था कर रहे हंै। स्थानीय स्तर पर इसको इंद्रभान सिंह बुंदेला क्वार्डिनेट कर रहे हैं। जबकि विद्या व्यंकटेश इसकी डायरेक्टर और भावना मेनन प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। फील्ड क्वार्डिनेटर इंद्रभान सिंह बुंदेला ने बताया, शिकारी होने का कलंक लेकर जीवने वाले पारधी समाज को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के प्रयास किए जा रहे हैं। इनके बच्चे छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और इन्हें पर्यटन से जोड़कर रोजगार दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे ये वन्य प्राणियों के भक्षक के बजाए उसके संरक्षक की भूमिका निभाने लगें।