अवधेश के छोटे भाई चतुरेश भी मीडिया से बात करते हुए रो पड़ते हैं। बताया कि शाम छह बजे ही तो बात हुई थी। सब अच्छे भले थे। एक घंटे बाद ही टीवी पर हादसे की खबर चलने लगी। चिंता हुई तो फोन किया, लेकिन नहीं उठ रहा था। सब परेशान थे। तभी किसी का फोन आया कि भैया-भाभी सहित सभी रिश्तेदार दुर्घटनाग्रस्त बस में ही थे। देर रात मौत की पुष्टि हुई तो परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। हम लोग उत्तराखंड जाने की तैयारी करने लगे, लेकिन अफसरों ने समझाइश दी कि आप लोग घर में सबको संभालिए। वहां की व्यवस्था प्रशासन स्तर से करा रहे हैं।
हादसे में पंकज के पिता अवधेश, मां शकुंतला, ससुर बद्री प्रसाद, सास चंद्रकली, बुआ अनिल कुमारी और फूफा जागेश्वर प्रसाद गर्ग की मौत हुई है। अवधेश तहसील कार्यालय से सेवानिवृत्त कर्मचारी थे। जागेश्वर शिक्षक थे। एक ही परिवार से छह लोगों की मौत से पूरे परिवार में मातमी महौल है।
हादसे ने बुद्धसिंह साटा गांव के इकलौते डॉक्टर को भी छीन लिया। ग्रामीणों के अनुसार राजाराम सिंह यहां के एकमात्र डॉक्टर थे। वे हर वक्त हम लोगों के साथ खड़े रहते थे, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। राजाराम के साथ उनकी पत्नी गीता सिंह और बहन जनक सिंह की भी मौत हो गई। राजाराम के निधन के बाद अब गांव में कोई डॉक्टर नहीं, जो लोगों को उपचार दे सके।