7 बड़ी नदियों पर कोई बांध नहीं
बिहार ने अपनी बड़ी नदियों पर बांध नहीं बनाए हैं, नतीजा यह कि बारिश में नदियां उफान पर होती हैं, लेकिन उनके पानी को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है। बिहार में गंगा, घाघरा, कोशी, महानंदा, गंडक, बूढ़ी गंडक, सोन पर कोई बांध नहीं है।
खराब हो रही है बिहार की मिट्टी
छोटी-छोटी नदियों पर 24 बांध
बिहार की ऐसी नदियों पर बांध बनाए गए हैं, जिनमें लगातार पानी नहीं रहता। इन बांधों में से 4 अभी निर्माणाधीन ही हैं। हर घर तक नल पहुंचाने के लिए बिहार में बड़ी संख्या में बांध बनाने की जरूरत है। बिहार में तो ज्यादा उद्योग भी नहीं हैं, तो यहां पानी मूलत: पेयजल और सिंचाई के लिए चाहिए।
कोई भी बांध पेयजल के लिए नहीं बना
बिहार में सभी बांध सिंचाई की सुविधा बढ़ाने के लिए ही बनाए गए हैं। हालांकि इधर कुछ बांधों से बिहार सरकार पेयजल के लिए जलापूर्ति शुरू कर चुकी है, लेकिन बड़े शहरों के पास विशेष रूप से पेयजल के लिए जल संग्रहण करने की जरूरत पड़ेगी। भू-जल की गुणवत्ता चूंकि बहुत खराब हो चुकी है, इसलिए उसे साफ करके आपूर्ति करना आसान नहीं होगा।
38 में से केवल 6 जिलों में हैं बांध
सर्वाधिक बांध जमुई जिले में हैं, यहां 7 बांध निर्मित हैं और एक निर्माणाधीन। बांका में 5 बांध हैं। मुंगेर में 2 निर्मित, 2 निर्माणाधीन। नवादा में 3, कैमूर में एक निर्मित-एक निर्माणाधीन, लखीसराय में 2 निर्मित। बिहार के 32 जिलों में कोई बांध नहीं हैं। और तो और, किसी भी बड़े शहर के लिए कोई बांध नहीं है। जो बड़े शहर बारिश में जलभराव के शिकार होते हैं, वो गरमियों में पानी के लिए तरसते हैं।
सबसे पुराना – नागी बांध
सबसे लंबा – नकती बांध
सबसे नया – ऊपर किऊल
(ये तीनों ही जमुई जिले में स्थित हैं)