
बच्चों की नैतिक शिक्षा मजबूत करनी होगी, महिलाओं को सम्मान देना सीखाना होगा: आंनद श्रीवास्तव
अनुराग त्रिवेदी
जयपुर. फोर्टी वीमन विंग की ओर से शनिवार को अजमेर रोड स्थित एक बैंक्वेट में 'द राइट टॉक' कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जयपुर के पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने मौजूद लोगों के समक्ष महिलाओं के प्रति अपराधों को रोकने और महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर डीसीपी वेस्ट वंदिता राणा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। विंग की अध्यक्ष रानू श्रीवास्तव, महासचिव ललिता कुच्छल व मेंबर्स ने अतिथियों का स्वागत किया। आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस प्रशासन के लिए नागरिक सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। यह विषय और भी विचारणीय हो जाता है, जब यह देश की आधी आबादी से जुड़ा हो। आजादी के आजादी के 75 में भी व्यवस्थाएं नारी सुरक्षा को लेकर कितनी संजीदा है, इसका सहज अनुमान मीडिया में अक्सर सुर्खियां बनने वाले दुष्कर्म के प्रकरणों से लगाया जा सकता है। बुलंदशहर, अलवर, उन्नाव, तेलंगाना, कठुआ, शिमला, हाथरस सरीखे जघन्य कांड सुरक्षातंत्र की नाकामी दर्शाते हैं।
मिलकर कार्य करना होगा
श्रीवास्तव ने कहा कि आधुनिक लालन पालन में हम बच्चों को वे संस्कार ही नहीं दे पा रहे हैं, जो उन्हें नारी का यथोचित सम्मान देना सिखाए। जहां हम शैक्षणिक तौर पर विकास की ओर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं नैतिक शिक्षा, जनचेतना व सामाजिक मूल्यों का अभाव इन बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है। नारी गरिमा और अधिकार सुरक्षित करने के लिए सामाजिक संस्थाओं द्वारा पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर सकारात्मक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और संस्थाओं को पुलिस का सहयोग करना चाहिए। कार्यक्रम में फोर्टी राजस्थान के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, राकेश गोयल, नरेश सिंघल मौजूद रहे।
हिलाओं के अधिकार सुरक्षित
महिला अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि विभिन्न कानूनों के माध्यम से महिलाओं के अधिकार सुरक्षित किए गए हैं। इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट जहां महिलाओं को भेदभावमुक्त आजीविका पाने तथा पुरुषों के बराबर मेहनताना पाने का अधिकार देता है, वहीं भारतीय संविधान की धारा 498 के अन्तर्गत घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद की जा सकती है। भारतीय संविधान में महिलाओं की निजता, गरिमा और शालीनता कायम रखने, निःशुल्क कानूनी मदद, कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा जैसे प्रावधान किए गए हैं, ताकि हर महिला को अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार समाज में पहचान बनाकर विकास करने के अवसर सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा आइपीसी की विभिन्न धाराओं में भी जीरो एफआइआर दर्ज करवाने, वर्चुअल शिकायत दर्ज करवाने जैसे कई प्रावधान किए गए हैं, जिससे महिलाओं को गरिमापूर्वक जीवन-यापन करने की स्वतंत्रता मिल सके। उन्होंने महिलाओं को कानूनी संरक्षण दिए जाने की समस्त प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की तथा प्रश्नोत्तरी सत्र में पूछे गए सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए समाधान प्रस्तुत किए। उन्होने कहा कि भारत की श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। महिलाओं के मामलों में राजस्थान में देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा कम घटित हुए हैं। शहर की घर, गलियों, कार्यस्थल आदि को सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस पूर्ण निष्ठा से कार्य कर रही है। राजस्थान पुलिस ने महिलाओ और बालिकाओं के खिलाफ अपराधों के प्रकरणों में न्यूनतम 7 दिन में अनुसंधान पूरा कर पीड़ित को न्याय दिलवाया है। पुलिस की प्राथमिकता है कि अनुसंधान प्रक्रिया अधिकतम 86 दिन में पूरी की जाए। सोशल मीडिया बुलिंग और स्टॉकिंग पर आनन्द श्रीवास्तव ने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट आज के समय की जरूरत है। लेकिन साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस को त्वरित सूचना दें, ताकि अपराधियों की धरपकड़ की जा सके। इसके लिए पुलिस की महिला हेल्पलाइन पर ऑनलाइन या ऑफलाइन संपर्क किया जा सकता है।
Published on:
03 Sept 2022 09:44 pm
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