
जयपुर में दिखेगी मिस्र की सभ्यता, तूतनखामेन के मकबरे की प्रतिकृतियां होंगी डिस्प्ले
अनुराग त्रिवेदी
जयपुर. जवाहर कला केन्द्र का अलंकार म्यूज़ियम बुधवार से मिस्र के 3500 साल पुराने तूतनखामेन के मकबरे में दफनाए गए वहां के राजा तूतनखामेन और उनके परिजनों के शवों के ताबूतों (ममी) और उस समय उनके सम्मान में दफनाई गई सैकड़ों वस्तुओं की कलात्मक अभिव्यक्ति का गवाह बनेगा। धोरां इन्टरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी, जेकेके और मिस्र की संस्था फेस्रोज लैंड की ओर से इसका आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि वैसे तो इस मकबरे में मिस्र की तत्कालीन सभ्यता की हजारों दुर्लभ वस्तुएं मौजूद हैं, लेकिन उनमें से चयनित लगभग 130 वस्तुओं और शवों के ताबूत (ममी) की प्रतिकृतियां यहां प्रदर्शित की जाएंगी। इन प्रतिकृतियों (रेप्लिकाओं) का निर्माण मिस्र के कलाकार डॉ. मुस्तफा अलजैबी, ओसामा और मोहम्मद ने किया है। मनीष शर्मा ने बताया कि मिस्र में वहां की सरकार ने इस अनूठे मकबरे की प्रतिकृतियां बनाने के लिए इन्हीं तीनों को अधिकृत किया है।
ये प्रतिकृतियां होंगी देखने योग्य
मुस्तफा ने बताया कि यहां प्रदर्शित की जाने वाली प्रतिकृतियों में मिस्र के तत्कालीन राजा राजा तूतनखामेन और उनकी पत्नी के शवों के दो ताबूत (ममी), राजा तूतनखामेन के पत्नी के असमय हुए गर्भपात के दो भ्रूण, उनके असमय ही मृत्यु को प्राप्त बच्चों, कई परिजनों के शवों की प्रतिकृतियां, राजा, रानी और उनके परिजनों की ओर से पहने जाने वाले सोने के आभूषण, उनके सुरक्षा कर्मियों और शवों की सुरक्षा के लिए हर समय मकबरे के बाहर तैनात रहने वाले भेड़िए ओर कुत्ते की शक्ल आभास देने वाले जानवरों की प्रतिकृतियां को बनाया गया है। इस जानवर की प्रजाति सैकड़ों साल पहले विलुप्त हो चुकी हैं। इसके अलावा जिस समय इन्हें दफनाकर मकबरा बनाया गया था, तब उस समय के कलाकारों ने मकबरे की दीवारों पर इस राजा की यात्रा से संबंधित चित्र भी उकेरे थे, इस प्रदर्शनी में उन पेंटिंग्स की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की जाएंगी।
3000 साल बाद ब्रिटिश पुराविदों ने खोजी कब्र
मुस्तफा ने बताया कि तूतनखामेन की मौत के 3000 साल बाद 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविदों की एक टीम ने उनकी कब्र की खोज की थी। तूतनखामेन मिस्र का फारो था, जिसकी कब्र को हावर्ड कार्टर ने 1922 में खोला। ततूतनखामेन राजा मिस्र में राजातुत के रूप मे भीं लोकप्रिय है। वह राजा अखेनातेन का पुत्र था। तुतनखामुन का अर्थ ‘अमन की छवि वाला’ होता है। इस साल नम्बर में इस खोज को 100 साल पूर हो रहे है और दुनियाभर में इसका सेलिब्रेशन किया जा रहा है। मनीष शर्मा ने बताया कि इस शो को इंडिया में ट्रेवल करवाने की प्लानिंग कर रही है।
होगा मिस्र की यात्रा का जीवंत अहसास
यह प्रदर्शनी मुख्य रूप से तूतनखामेन के मकबरे और उन सैकड़ों कलाकारों की कृतियों से प्रत्यक्ष संवाद करने का अनूठा अवसर होगा, जिन्होंने यह दुर्लभ विरासत विश्व को दी है। यह प्रदर्शनी जयपुर में मिस्र की सभ्यता की यात्रा का जीवंत अहसास प्रदान करेगी। इस शो में आने वाले प्रतिभागियों को ममी को संरक्षित रखने की प्रक्रिया के बारे में भी समझाया जाएगा।
पोस्टर का विमोचन
इस एग्जीबिशन के पोस्टर का विमोचन आर्ट एंड कल्चर मिनिस्टर बीडी कल्ला ने किया। इस मौके पर मिस्त्र के आर्टिस्ट मुस्तफा अलजैबी, वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय, मनीष शर्मा और राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव रजनीश हर्ष मौजूद रहे।
Published on:
06 Sept 2022 06:36 pm
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