
आज से सावन का महीना शुरू हो गया। लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तमाम जुगत लगा रहे हैं, लेकिन इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसा कारगर उपाय बताएंगे, जिससे भगवान के खुश होने के साथ आपको मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।

धन—धान्य की प्राप्ति एवं रुपए—पैसों की दिक्कत दूर करने के लिए पारद का शिवलिंग बहुत फलदायी होता है। क्योंकि ये ठोस धातु के रूप में होते हुए भी एक द्रव्य होता है। इसलिए इसे रसराज भी कहा जाता है। इसका निर्माण पारे को पिघलाकर उसे अन्य क्रियाओं के जरिए ठोस किया जाता है।

पुराणों में भी पारद शिवलिंग का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पारद के शिवलिंग में साक्षात शिव का वास होता है। इसकी इसके पूजन से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सावन में इसे घर लाना अत्यन्न शुभ माना जाता है।

पारद शिवलिंग पवित्र होने के साथ बेहद चमत्कारिक भी है। तभी तो शिवलिंग को घर में लाने से आस—पास मौजूद सारी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। इससे घर में धन—धान्य की वृद्धि होती है। साथ ही समृद्धि आती है।

पारद का शिवलिंग दुर्भाग्य को भी मिटाने का काम करता है। यदि सोमवार को इसे घर लाया जाए व इसकी निष्ठा से पूजा की जाए तो भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। इससे व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उसके बिगड़े काम बनने लगते हैं।

ये शिवलिंग जादू—टोने के असर की भी शक्तिशाली काट है। इसके पूजन करने वाले पर कभी भी नकरात्मक शक्तियां हावी नहीं हो पाती है। उसकी और उसके घर की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं। इससे वास्तु से संबंधित दोष भी दूर होते हैं।

यदि कोई बीमार हो और इलाज के बावजूद सही नही हो रहा हो तो पारद के शिवलिंग का जल से अभिषेक करें। इसके बाद ये जल शिव जी की कामना करके रोगी को पिला दें। ऐसा करने से समस्या हल हो जाएगी।

ये शिवलिंग इतना प्रभावशाली है कि इसे घर में रखने से ये आपको अकाल मृत्यु से भी बचाएगा। दरअसल किसी व्यक्ति की कुंडली में अकाल मृत्यु का योग होने व किसी अनहोनी के होने से पहले ही पारद का शिवलिंग संकेत दे देता है। यदि आपका कोई बुरा करना चाहता है तो ये शिवलिंग अपने आप टूट जाता है।

पारद शिवलिंग इतना प्रभावशाली है कि इसके पूजन का फल पूरे 12 ज्योतिर्लिंगों के बराबर होता है। इसके चमत्कारिक परिणाम के चलते रावण ने अपनी शिव आराधना में पारद शिवलिंग का ही प्रयोग किया था। इस बात की पुष्टि रुद्र संहिता में दिए गए श्लोकों के जरिए भी होती है।

पारद का शिवलिंग जितना चमत्कारिक है, इसे बनाने की प्रक्रिया भी बहुत अहम है। ये धातु ज्यादातर आदिवासियों के पास पायी जाती है। शिवलिंग को एक खास समय में तैयार किया जाता है, जिसे 'विजयकाल' कहा जाता है। बाद में अच्छा मुहूर्त देखकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई जाती है।