
सावन के मौसम के बाद से मानों त्योहारों की झड़ी लग जाती है। कभी हरियाली तीज तो कभी रक्षाबंधन। इन सभी खास मौकों पर बिना मुंह मीठा किए रहा नहीं जाता। मगर मुंह मीठा करने के लिए खाई जाने वाली चांदी के वर्क वाली मिठाईयां आपको सीधे बेड पर पहुंचा सकती है। तो इसे खाने से क्या होते हैं नुकसान और कैसे करें असली—नकली चांदी वर्क में फर्क आइए जानते हैं।

त्योहारों का सीजन आते ही बाजारों में मिलावटखोरों को धंधा तेज हो जाता है। इसमें मिठास घोलने वाली मिठाईयां भी पीछे नहीं है। इनमें जमकर नकली मावे और खराब ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन एक और भी खराब चीज का इस्तेमाल होता है, वो है चांदी का नकली वर्क।

बाजारों में मिलने वाली रंग—बिरंगी मिठाईयों पर चढ़ी चांदी की चमकीली परत हर किसी को लुभाती है, लेकिन हकीकत में इसे खाने से लेने के देने पड़ सकते हैं। दरअसल इसमें असली की जगह नकली एवं घटिया चांदी का इस्तेमाल होता है। कई लोग तो चांदी की जगह एल्यूमीनियम के वर्क का भी इस्तेमाल करते हैं।

नकली चांदी में लेड, क्रोमियम और कैडमियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं। इसके शरीर में जाने से कैंसर, फेफड़े और दिमाग की कई बीमारियां हो सकती हैं। इससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, आंतों में ऐंठन और त्वचा पर लाल दाने व रैशेज हो सकते हैं।

द फूड बिजनेस ऑपरेटर (FBOs) की ओर से किए गए निरीक्षण के मुताबिक चांदी के वर्क में चांदी की जगह एल्यूमीनियम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें कई दूसरे टॉक्सिक मेट ल का भी प्रयोग किया जा रहा है। करीब 90 प्रतिशत चांदी के वर्क बनाने का काम ऐसे ही चल रहा है। इसे खाने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

असली और नकली चांदी के वर्क की पहचान के लिए मिठाई का थोड़ा—सा टुकड़ा लेकर इसे अपनी अंगुली पर पोंछने का प्रयास करें। अगर पोंछते समय ये आपके हाथ में चिपकता है, तो इसका मतलब है के इसमें एल्युमिनियम है। जबकि इसके हाथ में न चिपकने पर इसे असली मानना चाहिए।

अगर मिठाई में नकली वर्क लगा होता है तो इसकी पहचान यह है कि नकली वर्क थोड़ा मोटा होता है जबकि असली वर्क काफी महीन होता है और इसे गर्म करने पर ये चांदी के गोले की तरह सिकुड़ जाता है। जबकि नकली वर्क के गर्म होने पर ये काला पड़ जाता है या फिर राख में बदल जाता है।

असली—नकली वर्क में पहचान करने के लिए चांदी के वर्क को हथेली के बीचो—बीच रगड़कर देखें। अगर चांदी गायब हो जाती है तो समझ जाएं ये असली है, जबकि अगर ये एक बॉल के रूप में इक्कट्ठा हो जाएं तो समझ जाना चाहिए कि ये नकली है।

चांदी के वर्क की परख करने के लिए इसे एक परखनली में डालें और इसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड की एक बूंद डालें। यदि इसमें सफेद धुंआ निकलता है तो ये मिलावटी है। और अगर चांदी असली है तो इससे धुंआ नहीं निकलेगा।

असली चांदी यूं तो बहुत फायदा करती है, लेकिन क्या आपको पता है इसे बनाने के लिए जानवरों की खाल एवं आतों का प्रयोग किया जाता है। दरअसल वर्क बनाने के लिए चांदी को जानवरों की आंतों के बीच पीटा जाता है। इससे बिल्कुल पतले वर्क बनते हैं और इन्हें सामान पर लपटने में बहुत आसानी हो जाती है।