
हर व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह कमजोर व खराब स्थिति में होते हैं। जिससे व्यक्ति को अशुभ परिणाम मिलने लगते हैं। इससे बचने के लिए लोग मंहगे रत्न धारण करते हैं, लेकिन इन कीमती नगों को खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे पेड़ों के बारे में बताएंगे जिनकी जड़ बांधने से रत्नों की तरह ही लाभ मिलता है।

अगर आपकी कुंडली में सूर्य नीच स्थिति में तुला राशि में है और केंद्र या लग्नस्थ में है तो इसके लिए आपको बेल के पेड़ की जड़ बांधनी चाहिए। इसके बेहतर प्रभाव के लिए कृत्तिका नक्षत्र वाले दिन बेल की जड़ को सुबह तोड़ लें और इसे शिवजी के सामने रख दें। अब ऊँ भास्कराय ह्रीं मंत्र का जाप करने के बाद इसे गुलाबी धागे में लपेटकर अपने हाथ में बांध लें। इससे बीमारियां, संतान न होने की समस्या आदि दूर हो जाएगी।

यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है या राहु-केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो आप खिरनी की जड़ बांधे। इसके लिए आप रोहिणी नक्षत्र के दिन इस जड़ को शिवजी को समर्पित करें और ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स:चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप कर के इसे सफेद धागे में पहनें। ऐसा करने से अकेलापन, भावुकता, फेफड़े सम्बंधित रोग आदि ठीक हो जाएंगे।

अगर कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो आपको खैर की जड़ बांधनी चाहिए। इसके लिए मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन खेर की जड़ को हनुमान जी के पास रखें और ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप करें। अब इसे नारंगी धागे से धारण करें। ऐसा करने पर आपके गुस्से और अवसाद पर नियंत्रण होगा और आपकी शादी में आ रही दिक्कत भी दूर हो जाएगी।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध द्वादश,अष्टम भाव में या नीच का होकर मीन राशि में है, तो आपको विधारा की जड़ बांधनी चाहिए। इसे पहनने के लिए अश्लेशा नक्षत्र वाले दिन जड़ को भगवान गणेश को समर्पित करें और ऊँ बुं बुधाय नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद हरे रंग के धागे में जड़ को लपेटकर बांधे। ऐसा करने से बुद्धि विकसित होती है और निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है।

अगर कुंडली में गुरु राहु के साथ है या राहु की गुरू पर नजर पड़ रही है तो व्यक्ति को हल्दी की गांठ पहननी चाहिए। इसके लिए पुनर्वसु नक्षत्र के दिन भगवान बृहस्पति के सामने शुद्ध पीली हल्दी की गांठ रखें। अब ॐ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें। अब जड़ को पीले धागे में लपेटकर पहनें। इससे व्यवसाय, नौकरी, विवाह और लीवर समबंधित रोगों में लाभ होगा।

यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है तो आप गूलर की जड़ बांधे। इसे भरणी नक्षत्र में धारण करना अच्छा माना जाता है। इस दिन शाम के समय मां लक्ष्मी के सामने ये जड़ रखकर ऊँ शुं शुक्राय नम: मंत्र का जाप करें और इसे लाल या गुलाबी धागे में बांधकर पहनें। इससे संताना न होने, कर्ज एवं धन की कमी की समस्याएं दूर होती हैं।

अगर किसी की कुंडली में शनि सूर्य युक्त हो एवं सप्तम भाव में होकर मेष राशि में तो आपको शमी के पेड़ की जड़ धारण करनी चाहिए। इसके लिए अनुराधा नक्षत्र वाले दिन काली जी व शनि देव की पूजा करके नीले व काले रंग के धागे में जड़ को लपेटकर पहनें।

अगर आपकी कुंडली में राहु लग्न, सप्तम या भाग्य स्थान मे हो तो आप सफेद चंदन की जड़ बांधे। इसके लिए आप आर्द्रा नक्षत्र वाले दिन इसे शिव जी के सामने रखें। इसके बाद ऊँ रां राहुए नम: मंत्र का जाप करें, अब जड़ को काले धागे में पहनें। इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा औश्र बुरी आदतों से मुक्ति मिलेगी।

यदि आपकी कुंडली में केतु चन्द्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ में है, तो आप अश्वगंधा की जड़ धारण करें। इसके लिए आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के बाद ऊँ कें केतवे नम: मंत्र का जाप करते हुए इसे नारंगी धागे में लपेटकर पहनें। ऐसा करने से आपको बीमारियों में लाभ होगा। इससे वैवाहिक जीवन की परेशानियां भी दूर होगी।