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आज से बंद ​हुए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट

भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से बुधवार को श्री केदारनाथ मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित किया गया। अब शनिवार, 29 अक्टूबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।

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Deepesh Tiwari

Oct 27, 2022

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भैया दूज के पावन पर्व पर आज गुरुवार, 27 अक्टूबर को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट आज से बंद हो गए। शुक्रवार को सुबह 8:30 बजे से केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए गए। इसकी तैयारियों के क्रम में बुधवार को भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से श्री केदारनाथ मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित किया गया। बुधवार को बाबा केदार की भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया गया। इसके बाद विधि विधान से बाबा की डोली को मंदिर के सभामंडप में रखा गया।

इसके बाद शनिवार, 29 अक्तूबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। इसके अलावा यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान से दोपहर 12:09 बजे बंद किए गए। इसके बाद यमुना माता की डोली ने मायके खरसाली के लिए प्रस्थान किया।

भक्तों ने कपाट बंद होने से पहले किए केदारनाथ के दर्शन
बुधवार को सुबह पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए। वहीं कपाट बंद होने की पूर्व संध्या पर हजारों की संख्या में भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन को पहुंचे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद मंदिर परिसर में लाया गया। परिक्रमा के बाद डोली को मंदिर के अंदर प्रतिष्ठित कर दिया गया। इस अवसर पर श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय सपरिवार श्री केदारनाथ धाम पहुंचे और पंचमुखी डोली की पूजा-अर्चना में शामिल हुए।

यमुनोत्री धाम के यम द्वितीया को बंद होते हैं कपाट
ज्ञात हो कि यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल संभाग के उत्तरकाशी जिले में 3,291 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये मंदिर देवी यमुना को समर्पित है और यहां देवी की एक काले संगमरमर की मूर्ति स्थापित है।

यह मंदिर अक्षय तृतीया को खुलता है और सर्दियों के लिए यम द्वितीया (दीपावली के बाद दूसरा दिन) को बंद हो जाता है।

बंद हो चुके हैं गंगोत्री धाम के कपाट
इससे पहले श्री गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार, 26 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान से पूजा के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस अवसर पर मां गंगा की उत्सव डोली समारोह पूर्वक जयकारों के साथ मुखबा गांव के लिए रवाना हुई। मां गंगा का रात्रि विश्राम मां चंडी देवी (मार्कण्डेय पुरी) मंदिर में होगा। इसके बाद अगले दिन यानि आज मां गंगा की उत्सव डोली भैया दूज के पर्व पर अपने मायके मुखबा (मुखीमठ) पहुंची।


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