28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां खुलते हैं बंद किस्मत के ताले, यहीं पर जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स की भी बदली थी जिंदगी!

नीम करौली बाबा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने चमत्कार के कारण जाने जाते हैं।

2 min read
Google source verification
kainchi_dham.jpg

फेसबुक और एप्पल के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग व स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा पश्चिमी देशों में भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके आश्रम में जहां न केवल देशवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रसन्न और खुशहाल बनने का रास्ता मिलता है। वहीं दूसरी ओर प्राचीन सनातन धर्म की संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होता है।


वैसे तो भारत में कई लोकप्रिय व पावन धार्मिक स्थल हैं, जहां पर लोग अपनी मुरादें लेकर जाते हैं। इन्में से एक प्रसिद्ध कैंची धाम भी है। माना जाता है कि कैंची धाम में जो भी आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता है। यही कारण है कि यहां पर देश के साथ-साथ विदेश से भी भारी संख्या में लोग आते हैं।

कैंची धाम के नीम करौली बाबा की लोकप्रियता पूरी दुनिया में है। नीम करौली बाबा हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। बताया जाता है कि हनुमान जी की कड़ी उपासना करने के बाद ही उन्हें चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त हुई थीं। कैंची धाम उत्तराखंड राज्य में नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित है। बताया जाता है कि 1961 में बाबा यहां पहली बार आए थे और उन्होंने 1964 में एक आश्रम का निर्माण कराया था, जिसे कैंची धाम के नाम से जाना जाता है।

विदेशी भी हैं बाबा के भक्त

नीम करौली बाबा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने चमत्कार के कारण जाने जाते हैं। लोकप्रिय लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने 'मिरेकल ऑफ लव' नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। सिर्फ यही नहीं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई अन्य विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।


कौन थे नीम करौली बाबा ?


नीम करौली बाबा का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ कर दिया गया था। परन्तु शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने घर छोड़ दिया और साधु बन गए। माना जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।

घर छोड़ने के लगभग 10 वर्ष बाद उनके पिता को किसी ने उनके बारे में बताया। जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर लौटने और वैवाहिक जीवन जीने का आदेश दिया। वह तुरंत ही घर लौट आए। कालांतर में उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुए। गृहस्थ जीवन के दौरान वह अपने आपको सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा।

1962 के दौरान नीम करौली बाबा ने कैंची गांव में एक चबूतरा बनवाया। जहां पर उन्के साथ पहुंचे संतों ने प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज ने हवन किया।

नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर है।

बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन और आर्शीवाद लेने के लिए आने लगे।

बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृन्दावन की पावन भूमि को चुना। उनकी मृत्यु 10 सितम्बर 1973 को हुई। उनकी याद में आश्रम में उनका मंदिर बना गाया और एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।


बड़ी खबरें

View All

तीर्थ यात्रा

धर्म/ज्योतिष

ट्रेंडिंग