29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां सूर्य करता है माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श, जानें शक्ति पीठ मंदिर का महत्व

यहां सूर्य करता है माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श, जानें शक्ति पीठ मंदिर का महत्व

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Pawan Tiwari

Jun 09, 2019

mahalakshmi mandir kolhapur

यहां सूर्य करता है माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श, जानें शक्ति पीठ मंदिर का महत्व

आमतौर पर लोग धन-वैभव के लिए घर पर ही माता लक्ष्मी की पूजन करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर देश के प्रमुख मंदिरों में एक है। यहां पर साल में दो बार सूर्य की किरणें माता लक्ष्मी के विग्रह पर सीधी पड़ती है। माना जाता है कि सूर्य की किरणें चरणों को स्पर्श करती हुई उनके मुखमंडल तक आती है। इस मंदिर में एक दीवार श्री यंत्र पत्थर पर खोदकर बनाया गया है।

यहां पश्चिम की ओर देखती हैं मां लक्ष्मी

माना जाता है कि मंदिर में माता लक्ष्मी की मूर्ति के प्रत्येक हिस्से की सूर्य की किरणें अलग-अलग दिन दर्शन करती हैं। मंदिर की पश्चिमी दीवार पर एक खिड़की है जिसमें से सूर्य की रोशनी आती है और माता की मूर्ति को स्पर्श करती है। रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव माता लक्ष्मी के चरण छूते हैं। हर वर्ष जनवरी माह में ऐसा होता है। अधिकतर मंदिरों में देवी-देवता पूर्व या उत्तर दिशा की ओर देख रहे होते हैं लेकिन इस मंदिर में माता लक्ष्मी का चेहरा पश्चिम दिशा की तरफ है।

अम्बा माता का मंदिर के नाम से जाना जाता है

पुराणों के अनुसार शक्ति पीठों में मां शक्ति उपस्थित होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में जो भक्त इच्छा लेकर आता है वो पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर को अम्बा माता का मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ इस मंदिर में निवास करती हैं।

राजा कर्णदेव ने कराया था मंदिर का निर्माण

इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में चालुक्य के राजा कर्णदेव ने कराया था। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण अधुरा रह गया था, जिसे 9वीं शताब्दी में पूरा किया गया था। यह मंदिर 27 हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है। मंदिर करीब 45 फीट ऊंचा है। इस मंदिर स्थापित माता लक्ष्मी की मूरितु 4 फीट ऊंची है। बताया जाता है माता की प्रतिमा करीब 7 हजार वर्ष पुरानी है। आदि गुरु शंकराचार्य ने माता लक्ष्मी की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की थी।


बड़ी खबरें

View All

तीर्थ यात्रा

धर्म/ज्योतिष

ट्रेंडिंग