रंग-बिरंगी पगडिय़ों और सतरंगी पोशाकों में हिलोरे मारता नजर आ रहा था। झूला झूलते समय सुहागने अपनी सखियों के कहने पर अपने पति का नाम नहीं लेती और कविता में ही पति का नाम बताती। पहले सावण में नव विवाहित को पीहर भेजा जाता। शिव पुराण के अनुसार शिवजी ने पहले सावण में पार्वतीजी को पीहर भेज दिया था। तीज के दिन वर्षा नहीं आने पर लोग कहते..अजी आज तो लहरियो ही कौनी भिज्यो। सावण आयो साहिबा, बरसण लाग्यो मेह, भीगी पाग पधारस्यो, जद् जाणू ली नेह।