दरअसल पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आसपास गन्नों के खेत मे जंगली जानवर, खासतौर पर बाघ और तेंदुए की चहल क़दमी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते गन्ना छीलने व काटने वाली लेबर डर से खेतों में काम करने नहीं आ रही है। ऐसे में खेत मालिक अब यह भरोसा देकर मजदूरों को बुला रहे हैं कि वो उनकी रक्षा खुद करेंगे। लिहाजा जितनी देर मजदूर खेतों में गन्ना छिलाई का काम करते हैं, खेत मालिक असलाह तानकर खड़े रहते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे क्षेत्र के गांवों अमरिया, न्यूरिया, पूरनपुर, दियूरिया, माधोटांडा, कलीनगर, सेहरामऊ, हरिपुर और गजरौला में गन्ने के खेतों से कब बाघ निकलकर आ जाए किसी को पता नहीं। शिकार की तलाश में बाघ अक्सर गन्ने के खेतों में रहने लगते हैं। बीती कई घटनाओं पर नज़र डालें तो लगभग सारी घटनाएं गन्ने के खेत या उसके आसपास ही हुई हैं। जिससे गन्ना किसानों और गन्ने के खेत में काम करने वाले मजदूरों में भय बैठ गया है। इस समय तराई क्षेत्र में गन्ने की छिलाई बहुत धीमी चाल से हो रहा है।
पूरनपुर के जटपुरा क्षेत्र के जलीस बेग इस बारे में बताते हैं कि इलाके में शेर और बाघ आतंक मचाए हैं। पिछले साल करीब 22 लोगों की मृत्यु हुई है। डर के कारण मजदूर खेतों में गन्ना छीलने को राजी नहीं हैं। उनका कहना है कि हम भूखे मर जाएंगे लेकिन गन्ना नहीं छीलेंगे। उन्होंने कहा हमारे खुद यहां बंदूक लेकर रखवाली करने की शर्त पर मजदूर गन्ना छीलने को राजी हुए हैं।
इस मामले में जिलाधिकारी डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र का कहना है कि ये सच है कि कुछ इलाकों में बाघ का आतंक है। गन्ने के खेत से कई बार बाघ निकल आते हैं। इनको शुगरकेन ड्राइवर कहते हैं। उन्होंने कहा ऐसे में हमें खुद भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसको लेकर हमारी टीम भी लगी हुई है।