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इन दोनों नेताओं के मुलाकात को बिहार की राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि भाजपा के सत्ता में वापसी के बाद शाह की इस बिहार यात्रा के दौरान न केवल नीतीश के जद (यू) से सीट बंटवारे पर चर्चा होगी बल्कि लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर भी बातचीत होने की उम्मीद है। ऐसे में शाह के इस दौरे पर न केवल बिहार के सत्ता पक्ष के नेताओं की नजर है बल्कि विपक्ष भी इन नेताओं के मुलाकात पर पैनी निगाह रखे हुए है। वर्ष 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद शाह की यह पहली बिहार यात्रा है। हालांकि, तब और आज के समय में काफी बदलाव आ गया है। उस समय जद (यू) भाजपा से अलग महागठबंधन में था लेकिन अब भाजपा के साथ सरकार में है।
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वैसे, इस दौरान आगामी चुनावों को लेकर भाजपा और जद (यू) के नेता सीट बंटवारे और बड़े भाई-छोटे भाई की भूमिका को लेकर आमने-सामने आते रहे हैं। दोनों दलों की बयानबाजी के दौरान जद (यू) ने यहां तक कह दिया था कि पिछले लोकसभा चुनाव के फॉमूर्ले पर चलते हुए उन्हें 40 में से 25 सीट लड़ने के लिए मिलनी चाहिए। जद (यू) ने यह भी कह दिया है कि अगर भाजपा नहीं मानती है, तो वह 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे मात्र दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था जबकि भाजपा को बिहार की 40 में से 22 सीटें मिली थीं।