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आधी रात को लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट

बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े।
गृह मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों को इससे डरने की जरूरत नहीं।
इस बिल से वर्षों से लोगों की उठती मांग हो जाएगी पूरी।

amit shah in loksabha
नई दिल्ली। लोकसभा में आधी रात को नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। इससे पहले लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करने के बाद जोरदार हंगामा हुआ और विपक्ष द्वारा इस पर मतदान की मांग की गई। बिल को पेश करने के पक्ष में 293 जबकि विपक्ष में 82 मत पड़े। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष द्वारा इस बिल को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक में किसी मुस्लिम के अधिकार नहीं लिए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा, “भारत की 106 किलोमीटर की जमीनी सीमा अफगानिस्तान से सटी हुई है। मैं रिकॉर्ड पर कह रहा हूं, उकसाने से कुछ नहीं होगा। मैं इस देश के भूगोल को जानता हूं, मैं यहीं का हूं।”
शाह ने बताया, “नागरिकता संशोधन विधेयक धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का बिल है। इस बिल ने किसी मुस्लिम के अधिकार नहीं लिए हैं। हमारे एक्ट के अनुसार कोई भी आवेदन कर सकता है। नियमों के अनुसार आवेदन करने वालों को नागरिकता दी जाएगी।”
उन्होंने कहा, “मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक केवल 70 वर्षों से जो इसकी प्रतीक्षा कर रहे लोगों को न्याय दिलाएगा। यह किसी को निशाना नहीं बना रहा है और न ही कोई अन्याय करेगा।”
https://twitter.com/AmitShah?ref_src=twsrc%5Etfw
गृह मंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि हर राजनीतिक दल को अपने घोषणापत्र पर चुनाव लड़ना चाहिए, जो देश के लोगों की राय से बनता है, न कि किसी नेता या परिवार पर। यहां भी यही हुआ है। यह विधेयक 2014 और 2019 के चुनावों के लिए भाजपा के घोषणा पत्र में था।”
गृह मंत्री ने कहा, “इस विधेयक को इस महान सदन की अनुशंसा मिलने के बाद ही लाखों-करोड़ों लोग यातना पूर्ण जीवन से मुक्त हो जाएंगे और सम्मान के साथ भारत के नागरिक बन जाएंगे। इसकी मांग लोगों ने वर्षों से की है। सभी को राजनीति से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर सोचना चाहिए। उन्हें क्रूरतापूर्वक सताया गया था, और उसके बाद ही वे अपने देश को छोड़ कर यहां आए थे।”
गृह मंत्री ने आगे कहा, “हम बिल के तहत किसी से कोई अधिकार नहीं छीन रहे हैं। अनेकता में एकता हमारी ताकत है और सहिष्णुता हमारा गुण है। हमने अपने इतिहास में कभी किसी पर हमला नहीं किया है और हमने बदलाव को स्वीकार किया है और इसे हमारी संस्कृति के साथ अच्छी तरह से मिलाया है।”
शाह ने कहा, “किसी भी देश की सरकार का ये कर्तव्य है कि सीमाओं की रक्षा करे, घुसपैठिओं को रोके, शरणार्थियों और घुसपैठिओं की पहचान करे। कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून न बनाया हो। हमने भी ऐसा कानून बनाया है। हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है।”
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अमित शाह ने कहा, “1947 में, सभी शरणार्थियों को भारत के संविधान द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। मनमोहन सिंह जी और लाल कृष्ण आडवाणी जी भी इस समूह का हिस्सा हैं। उन्होंने भारत के विकास में योगदान दिया है। 1971 के युद्ध और बांग्लादेश के गठन के बाद, शरणार्थियों को नागरिकता दी गई और हमारी पार्टी सहित किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया।”
उन्होंने बताया, “तमाम अन्य घटनाओं के दौरान लोग युगांडा, श्रीलंका आदि जगह से आए थे। हमने तब कोई विरोध नहीं किया। ऐसे करोड़ों लोग हैं जो इस समय पीड़ित हैं। मैं बंगाल और कांग्रेस के सांसदों को चुनौती देता हूं कि वे साबित करें कि यह विधेयक किसी भी तरह से पक्षपातपूर्ण है। ऐसा कतई नहीं है।”
शाह ने अल्पसंख्यकों का डर खत्म करते हुए कहा, “अल्पसंख्यकों में डर है कि अगर वे नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें जेल हो जाएगी। हमारे पास एक प्रावधान है कि जैसे ही उस व्यक्ति को भारत की नागरिकता मिलती है, किसी भी अल्पसंख्यक के खिलाफ सभी जांच समाप्त हो जाएंगी। इस विधेयक में हम पूर्वोत्तर के लोगों की सामाजिक और भाषाई विशिष्टता की रक्षा कर रहे हैं। किसी को भी इससे डरने की जरूरत नहीं है।”
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पूर्वोत्तर को लेकर गृह मंत्री ने आगे कहा, “नागालैंड और मिजोरम की सुरक्षा इनर लाइन परमिट द्वारा की जाती है और यह सुरक्षित बनी रहेगी। मणिपुर की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, हम उन्हें भी इनर लाइन परमिट में शामिल कर रहे हैं। मेघालय छठी अनुसूची द्वारा संरक्षित है, और हम नागरिकता (संशोधन) विधेयक के दायरे में छठी अनुसूची रख रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं जिन्होंने असम समझौते किया और इतने वर्षों तक क्या किया। क्या उन्होंने एनआरसी लागू किया? नहीं। अब जब हम इस समस्या को हल कर रहे हैं, तो वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? असम के छह समुदायों को भी इससे लाभ होगा।”
विपक्ष के असहमति वाले सवालों को लेकर शाह ने बताया, “मैंने हाल के दिनों में 119 से अधिक एनजीओ, राजनीतिक दलों और कई राज्यों के सीएम के साथ इस मामले पर चर्चा की है। इस विधेयक में उनके सुझावों को विधिवत शामिल किया गया है।”

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