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मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि वोट मतदान खूबसूरत चेहरों के आधार पर नहीं होते। उन्होंने कहा कि प्रियंका बहुत खूबसूरत हैं, लेकिन इससे अलावा राजनीतिक उपलब्धि के नाम पर उनके पास कुछ नहीं है। वहीं, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसको कांग्रेस का हताशा फरार कदम बताया है। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस ने यह कदम उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा को धमकाने के लिए उठाया है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सपा—बसपा के चुनावी गठबंधन ने कांग्रेस को किनारे कर दिया था।
प्रियंका की राजनीति में एंट्री से सियासी घमासान, जानें क्या हैं कांग्रेस का चुनावी दांव?
पति राबर्ट वाड्रा की प्रतिनिधि’
यही नहीं सुशील मोदी ने यह भी कहा कि प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में अपने पति राबर्ट वाड्रा के प्रतिनिधि के रूप में आई हैं। भाजपा नेता इसको अच्छा बताते हुए कहा कि इससे वाड्रा का मामला एक बार फिर चर्चा में जाएगा। दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत तक पहुंचाने में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका थी। उसने राज्य की 80 में से 71 सीटें जीती थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस प्रदर्शन को दोहराया। 2014 और 2017 के चुनावों में भाजपा की वोट हिस्सेदारी 42.6% और 40% थी। 2014 और 2017 दोनों में, बसपा, सपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर लगभग 50% था। इन तीनों दलों के बीच कांग्रेस का सबसे कम वोट शेयर 2014 में 7.5% और 2017 में 6.3% था। अब सवाल यह है कि बसपा-रालोद-सपा महागठबंधन का हिस्सा नहीं होने से कांग्रेस को क्या हासिल होने की उम्मीद है?