अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दूरी बनाकर जेडीयू ने जनता को सीधे तौर पर संदेश दे दिया था कि वो किसी दल के दबाव में नहीं आने वाली है। बिहार में नेताओं के हाव-भाव और बयानों से भाजपा के प्रति उनकी असहमति अब सार्वजनिक होने लगी हैं। अब जेडीयू नेता ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि वह इस मसले पर कमजोर पड़ने वाली नहीं है। संजय सिंह ने कह दिया है कि अगर बीजेपी को जेडीयू से गठबंधन की जरूरत न हो तो वह सभी 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ सकती है।
2015 विधानसभा चुनावों में भाजपा से ज्यादा सीट जीतने वाली जनता दल (यूनाइटेड) सीट बंटवारे में इस परिणाम को आधार बनाने की मांग पर अड़ गई है। हालांकि भाजपा ने इस फॉर्मूले को यह कहकर नकार दिया है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद से गठबंधन करने के कारण ही जेडीयू को ज्यादा सीट मिली थी।
इस बात पर हो रही तनातनी
दरअसल, जेडीयू जहां 25 सीटों की मांग कर रही है, तो वहीं बीजेपी 22 सीटों से कम पर लड़ने को राजी नहीं है। बावजूद इसके जेडीयू एनडीए के घटक दलों के बीच व्यापक समझौते की उम्मीद लगाए हुए है, ताकि 2019 के लोकसभा और 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए हर पार्टी की सीटों की हिस्सेदारी तय हो सके।
जेडीयू की इस मांग पर भाजपा और गठबंधन में बिहार की अन्य दो पार्टियों लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान तथा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से ऐतराज जताए जाने की संभावना जताई जा रही है।
औपचारिक बैठक अभी बाकी है
एनडीए गठबंधन के सदस्यों के बीच सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर औपचारिक वार्ता शुरू होनी अभी बाकी है, लेकिन जेडीयू ने दबाव बनाने के लिए योग दिवस के कार्यक्रमों से दूर रहने के साथ ही साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार अलग उतारने की घोषणा कर दी है। साथ ही अगले महीने इस मुद्दे पर रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है।
इन दलों ने दिखाए तेवर
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले एनडीए को बड़ा झटका आंध्रप्रदेश की टीडीपी से मिला। केंद्र की अनदेखी के चलते टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए से अपना दामन अलग कर लिया। इसके बाद शिवसेना ने भी 2019 में अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी का गठबंधन भी टूट चुका है। बिहार में आरएलएसपी भी एनडीए से ज्यादा खुश नहीं है। ऐसे में समय रहते भाजपा ने बढ़ती अनबन का सही समाधान नहीं निकाला तो ये मिशन लोकसभा पर पानी फेर सकती है।