ऐसे मिली शुरुआती सफलता
दरअसल पुलिस ने शैलजा के मोबाइल की सीडीआर भी निकाली। इससे साफ हो गया कि शनिवार को 10 बजे से 1 बजे के बीच शैलजा ने मेजर हांडा से बात की थी। इसके बाद पुलिस ने तमाम कड़ियों को आपस में जोड़ा।
पहला सुराग
सबसे पहला सुराग बेस अस्पताल के सीसीटीवी ने दिया, जहां शैलजा से मेजर निखिल मिलने आया था। निखिल हांडा के साथ शैलजा अस्पताल से बाहर जाती हुई दिखाई दे रही थीं। जिस गाड़ी में शैलजा थीं, वह एक प्राइवेट सफेद रंग की कार थी। पुलिस के मुताबिक, हत्या एक ही शख्स ने की थी लेकिन दो और लोग भी संदेह के घेरे में हैं।
दूसरा सुराग
निखिल अस्पताल में दिखा लेकिन हत्या के बाद से वह फरार था और फोन भी स्विच ऑफ था। जांच में पता चला कि शैलजा के साथ अस्पताल में दिख रहा शख्स मेजर निखिल हांडा है, जो दीमापुर में तैनात था लेकिन अचानक शैलजा से मिलने दिल्ली आ गया था।
तीसरा सुराग
पुलिस ने बताया कि मृतका शैलजा के मोबाइल की डीटेल्स जब खंगाली गईं तो पता चला कि मेजर निखिल ने शैलजा को एक साल में ढेर सारे (करीब 3000) कॉल किए थे। ज्यादा कॉल किए जाने की वजह से पुलिस को मेजर निखिल पर शक हुआ। पुलिस ने जब मेजर निखिल से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की तो पुलिस को समझ आया कि वह भागने की कोशिश कर रहा है, जिससे पुलिस का मेजर निखिल पर शक और बढ़ गया।
चौथा सुराग
निखिल ने पूछताछ में कबूल किया कि वह 2 जून को दीमापुर से छुट्टी लेकर शैलजा के लिए ही दिल्ली आया था। आरोपी ने ठान लिया था कि अगर शैलजा उसकी नहीं हुई तो वह उसकी हत्या कर देगा। वह शैलजा से शादी करना चाहता था।
पांचवा सुराग
मेजर निखिल ने अपना मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर लिया था, जिसके चलते पुलिस को उस पर शक हुआ। मेजर निखिल ने अपने घरवालों से भी कॉन्टैक्ट तोड़ लिया था, जिसके बाद उस पर शक गहराता गया, हालांकि इस बीच उसने व्हाट्सऐप कॉलिंग के जरिए कुछ लोगों से संपर्क किया, जिसे पुलिस ने ट्रैक कर लिया। पुलिस ने बताया कि रास्ते में टॉल बूथ पर लगे सीसीटीवी से निखिल की कार ट्रेस हुई और आखिरकार मेरठ से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।