आगमी चुनाव के चलते बिगाड़ रहे छवि
पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री सोवनदेब चैटर्जी के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की छवि को खराब करने के लिए सर्वे में इस तरह के दावे किए गए हैं। मोदी सरकार बताना चाहती है कि हमारी सरकार कुछ नहीं कर रही, जबकि ऐसा नहीं है। ममता बनर्जी सफाई को लेकर काफी गंभीर हैं यह सर्वे पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है।
रैकिंग में पीछे प.बंगाल
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से सर्वे के बाद तैयार सूची में पश्चिम बंगाल की रैंकिंग काफी खराब आई है। प. बंगाल राज्य को महज 164 अंक ही हासिल हुए हैं। इस मामले में वह नीचे से तीसरे नंबर है। यानी गंदगी में ऊपर से तीसरे स्थान पर। प बंगाल से पहले इस सूची में दूसरे स्थान पर 145 अंकों के साथ नागालैंड है जहां हाल में ही कांग्रेस की सरकार थी। इसी तरही पहले नंबर पर 131 अंकों के साथ त्रिपुरा राज्य है, जहां हाल में वामपंथी सरकार थी।
भद्रेश्वर देश का सबसे छोटा गंदा शहर
प. बंगाल का सबसे स्वच्छ छोटा शहर नॉर्थ 24 परगना जिले का हबरा है जिसकी देश भर में रैकिंग 366 बताई गई है। जबकि हुगली जिले में स्थित भद्रेश्वर को 448.33 अंकों के साथ देश के सबसे गंदे छोटे शहर से नवाजा गया है। आपको बता दें कि ये सर्वे 1 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में किया गया है।
टॉप 300 स्वच्छ शहरों में एक भी बंगाल से नहीं
मोदी सरकार की ओर से सामने आए सर्वे से साबित होता है कि स्वच्छता के मामले में टॉप 300 शहरों की सूची में एक भी शहर प. बंगाल से नहीं है।यानी जिन एक लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले 500 शहरी स्थानीय निकायों पर सर्वे हुआ उनमें से प बंगाल के शहर 300 की सूची से बाहर हैं।