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अनंत कुमार का राजनीति करीयर
अनंत कुमार कर्नाटक की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते थे। कर्नाटक के होने के बावजूद भी उनकी पहचान एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर थी। अनंत कुमार ने अपना सियासी सफर उस समय शुरू किया था, जब बीजेपी का गठन हुआ था। शुरुआत में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और छात्र राजनीति से होते हुए भाजपा में आए। 1987 में कर्नाटक बीजेपी के सचिव बने। इसके बाद 1996 में बेंगलुरु साउथ से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। उन्होंने पार्टी के विश्वास पर खरा उतरते हुए चुनाव जीता और संसद पहुंचे। यह वह दौर था जब अनंत कुमार सफलता की सीढ़िया चढ़ रहे थे। इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा और राजनीति की सीढ़ियां लगातार चढ़ते गए। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपीय के नेतृत्व में जब 1998 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी तो दक्षिण भारत के कोटे से अनंत कुमार को मंत्री बनाया गया। अटल सरकार में वह उड्डयन मंत्री रहे। इसके बाद 1999 में उन्होंने चुनाव जीता तो उन्हें वाजपेयी सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारियां सौंपी गई।
2003 में बने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
अनंत कुमार का राजनीतिक करीयर उस वक्त परवान चढ़ा जब बीजेपी ने कर्नाटक फतह के लिए 2003 में अनंत कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके बाद केंद्रीय मंत्री 2004, 2009 और 2014 में छठी बार लोकसभा सदस्य चुने गए। 2014 में प्रचंड़ बहुमत से चुनकर आई मोदी सरकार में पहले उन्हें रसायन और खाद मंत्री बनाया गया, लेकिन जुलाई 2016 में संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा भी सौंप दिया गया, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
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दक्षिण के साथ उत्तर भारत में भी लोकप्रिय
बता दें कि अनंत कुमार दक्षिण से संबंध रखते थे, लेकिन तब भी वह उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय थे। उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तर और मध्य भारत के कई राज्यों की राजनीति में उन्होंने बीजेपी संगठन की ओर से एक सक्रिय नेता के तौर पर कार्य किया था। उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव और यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से कई रैलियां भी की थीं। भले ही वह मोदी सरकार में मंत्री रहे हो लेकिन उन्हें बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी के सबसे करीबी नेताओं के रूप में जाना जाता था।