कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि दोनों विधायकों ने भाजपा के पक्ष में वोटिंग की और मतपेटी में वोट डालने से पहले,भाजपा नेताओं को बैलेट पेपर दिखाया। पहले कांग्रेस इस मुद्दे पर शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंची। कांग्रेस के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी चुनाव आयोग का रूख किया। कांग्रेस चाहती हैं कि दोनों विधायकों के वोट को रद्द किया जाए। ऐसी मांग उठाने से कांग्रेस को दो फायदे हैं, पहला तो ये कि बीजेपी को मिले वोट रूक जाएंगे और दूसरा ये कि जीत के लिए जरूरी दो वोटों की कटौती हो जाए और इस तरह से कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल की जीत का रास्ता बन जाए।
उधर, भारतीय जनता पार्टी,कांग्रेस की बाडेबंदी के बावजूद अपने खेमे में आए विधायकों के वोट हरगिज खारिज नहीं होने देना चाहती। पूरे मामले में दिल्ली में चुनाव आयोग ने गुजरात से रिटर्निंग ऑफिसर की रिपोर्ट मांगी है,साथ ही मतदान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अपने पास मंगवाई है।
गुजरात के राज्यसभा चुनावों में इस बार जो हालात बने हैं वो पहले कभी नहीं बने। तीन सीटों को लेकर साधारण राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक दो सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार को राज्यसभा जाना था। लेकिन अहमद पटेल की मुश्किलें तब और बढ़ गई जब शंकर सिंह बाघेला ने पार्टी के खिलाफ़ बगावत कर दी और खुद को कांग्रेस मुक्त घोषित कर दिया। इसके बाद कांग्रेस विधायक दल में टूट शुरु हो गई और कांग्रेस ने अपने विधायकों को बचाने के लिए बैंगलूरू के एक रिसोर्ट में 45 विधायकों को रखा। जो अहमद पटेल की जीत की गारंटी माने जा रहे थे। लेकिन इन्हीं विधायकों में से क्रॉस वोटिंग कर दिये जाने से कांग्रेस का सियासी खेल बिगड गया। इस बीच, विधायकों की ओर से गोपनीयता भंग करने का मामला बनाकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग में दस्तक दे दी।
इस मुद्दे पर दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक भी हुई। भारतीय जनता पार्टी चुनावों से पहले ऐन वक्त पर कांग्रेस विधायकों के पाला बदलने के बाद समीकरण इस रूप में बदले कि एक-एक विधायक का वोट पार्टियों की खींचतान की वजह बन गया। भारतीय जनता पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह ,केन्द्रीय मंत्री
स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में हैं वहीं कांग्रेस की ओर से
सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहाकर और चाणक्य की भूमिका निभाने वाले अहमद पटेल मैदान में है।
कांग्रेस की दलील है कि राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को हराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने हॉर्स ट्रेडिंग की है। उधर, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की दलील हैं कि कांग्रेस में अपना भविष्य ना देखकर कांग्रेस विधायक खुद भारतीय जनता पार्टी को चुन रहे हैं। पूरा घटनाक्रम उस राज्य में हो रहा है जहां इसी साल विधानसभा चुनाव भी है। दोनों दलों के बीच राजनीतिक खींचतान अब इस कदर बढ़ गई है कि चुनाव आयोग की ओर से आदेश आने का इंतजार किए बगैर अब पूरे मामले को कोर्ट में ले जाने की बात भी की जा रही है।
पहले भी राज्यसभा चुनावों पर हुआ है विवाद… झारखंड में 2012 में दो सीटों पर निर्वाचन रद्द हुआ झारखंड में होर्स ट्रेडिंग के मामले ही सीबीआई जांच भी हुई विधायकों की होर्स ट्रेडिंग में 215 करोड़ रूपए का खुलासा हुआ
हरियाणा में 2016 में इंक के इस्तेमाल को लेकर उठा था विवाद कर्नाटक में राज्यसभा चुनावों में हो चुका है विवाद राज्यसभा को लेकर निर्वाचन आयोग की स्पष्ट आदर्श आचार संहिता का अभाव
खबर लिखे जाने तक ताजा घटनाक्रम में,अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है और दोनों दल बार-बार चुनाव आयोग में एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धा में आकर अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं। इस गतिरोध के कारण अभी तक वोटों की गिनती का
काम शुरु नहीं हो पाया है। पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस,बीजेपी की रणनीति को बारीकी से समझने के लिए देखें पत्रिका प्राइम टाइम डिबेट, जिसमें कांग्रेस,बीजेपी के नेता पूरे मामले पर तीखी बहस कर रहे हैं।