इस मामले में जिस शख्स ने एफआईआर दर्ज करवाई है वो राजस्थान के बॉर्डर पर बसे गांव राठीवास का रहने वाला है। यह गांव नूंह जिले में आता है। राठीवास राजपूतों का गांव है। जानकारी के मुताबिक सुरेंद्र शर्मा एफआईआर दर्ज होने के एक दिन पहले से ही गायब हैं। शिकायतकर्ता के पिता सोहन शर्मा पूर्व ग्राम पंचायत के मुखिया रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें नहीं पता कि बेटा कहां गया है। न ही सुरेंद्र की मां को इस बात का पता है। सुरेंद्र ने जो एफआईआर में अपना नंबर लिखवाया है वो भी बंद है। इस तरह शिकायतकर्ता के अचानक गायब होने से इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि कहीं सुरेंद्र शर्मा किसी षडयंत्र का श्किार तो नहीं हो गया है।
सुरेंद्र शर्मा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी देखता है। गांव वालों ने बताया कि उसके कुछ सांसदों और कैबिनेट स्तर के मंत्रियों के साथ करीबी संबंध भी हैं। सुरेंद्र फार्मेसी का कोर्स भी कर चुका है। सात साल पहले सुरेंद्र के भाई की गांव में चुनावी रंजिश में हत्या हो गई थी।
राठीवास निवासी सुरेंद्र शर्मा ने एक हाई प्रोफाइल मामले में एफआईआर दर्ज करवाकर हरियाणा ही नहीं केंद्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है। जमीन घोटाले में एफआईआर दर्ज कर राजनीति में नए सिरे से भूचाल लाने वाले सुरेंद्र शर्मा ने गायब होने से पहले मीडिया को बताया था कि जब मैं एफआईआर दर्ज करवाने गए तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया था, लेकिन मैंने जब सबूत पेश किया तो एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। पुलिस ने मुझसे दावा किया है की वो तमाम आरोपियों के खिलाफ एक्शन लेगी। शिकायतकर्ता ने बताया था कि गुरूग्राम पुलिस ने उनका बयान दर्ज किया। वो जांच से संतुष्ट हैं और पुलिस ने एफआईआर पर एक्शन का उनसे वादा किया है।
शिकायतकर्ता का दावा है कि भूमि घोटाले में उनके पास रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ नए सबूत गुरुग्राम पुलिस को मुहैया करा दिए हैं। उसने बताया था कि मेरा भाजपा या किसी और पार्टी से लेना देना नहीं है। मैं समाजसेवी हूं। पिछली सरकारों में जमकर जमीन घोटाला हुआ लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। पहले भी ये मामला उठा था लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। इसलिए मैंने शिकायत की। सबूत पुलिस को दे दिए, पुलिस को जांच करनी चाहिए। मुझे किसी से कोई डर नहीं है।