राष्ट्रीय राजधानी में कोविड प्रबंधन के नोडल मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि दिल्ली कोविड महामारी (अप्रैल-मई) की दूसरी लहर के चरम के दौरान ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही थी और ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की मौत हो गई थी।
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सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, “केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच के लिए समिति बनाने के प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया है।” उन्होंने कहा, “एक तरफ वे (केंद्र) राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के आंकड़े पूछने का दिखावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ जांच समिति को रोकते हैं। आखिर केंद्र सरकार क्या छिपाना चाहती है।”
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन संकट के कारण हुई मौतों की जांच के लिए एक समिति बनाने की मंजूरी के लिए फिर से उपराज्यपाल कार्यालय को एक फाइल भेजी थी। दिल्ली सरकार ने इस साल जून में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की जांच के लिए चार सदस्यीय पैनल का गठन किया था। हालांकि, समिति को एलजी ने खारिज कर दिया था।
केंद्र सरकार ने आरोपों को किया खारिज
इधर, केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया है और भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया है कि अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी गई है और अंतिम रिपोर्ट पर काम हो रही है। एलजी के साथ-साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोहराया है कि उक्त समिति को अपना काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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इसी उद्देश्य के लिए दूसरी समिति गठित करने से भ्रम ही पैदा होगा। जो पहले 6.7.2021 को कहा गया है और 19.8.2021 को फिर दोहराया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गठित एक उच्च स्तरीय समिति, जहां वरिष्ठ और प्रतिष्ठित डॉक्टरों के अलावा, एसीएस (स्वास्थ्य), जीएनसीटीडी के भी सदस्य है, वह पहले से ही मामले को देख रहे हैं।
सरकार ने कहा कि डिप्टी सीएम द्वारा दिए गए बयान भ्रामक हैं। न तो एलजी और न ही भारत सरकार ने कभी कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच नहीं होनी चाहिए।