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आखिर महबूबा मुफ्ती क्यों दे रही हैं लगातार राष्ट्रविरोधी बयान, जानिए अंदर की पूरी कहानी

ऐसी क्या वजह है जो अक्सर घाटी में महबूबा मुफ्ती राष्ट्र-विरोधी बयान देती रहती हैं।
क्यों पाकिस्तान से प्रेम और हिंदुस्तान के लिए नफरत दिखाती हैं महबूबा।
अपने देश विरोधी बयानों और पाक-प्रेम के चलते अक्सर सुर्खियों में रहती हैं महबूबा।

नई दिल्लीApr 23, 2019 / 08:15 am

अमित कुमार बाजपेयी

नई दिल्ली। हिंदुस्तान में रहकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तारीफ करने वाले कई लोग गाहे-बगाहे सामने आते रहते हैं। अब एक बार फिर से जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पड़ोसी मुल्क के प्रति अपनी हमदर्दी जताते हुए पीएम मोदी की आलोचना की है। ऐसी क्या वजह है जो अक्सर घाटी में महबूबा मुफ्ती राष्ट्र-विरोधी बयान देती रहती हैं, आइए जानते हैं।
दरअसल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और इसकी मुखिया महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम किसी से छिपा नहीं है। उनके देश विरोधी बयान अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। फिर भी घाटी में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हो रही। महबूबा से पहले उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद भी हमेशा से पाकिस्तान से बातचीत के पक्षधर रहे हैं।
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राजनीतिक मजबूरी

वर्ष 1996 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर महबूबा मुफ्ती ने चुनाव लड़ा और विधायक बनने के बाद दक्षिण कश्मीर में सामाजिक रूप से काफी सक्रिय हो गईं। महबूबा का अक्सर ढेर किए गए आतंकियों के घर पहुंचना, सेना के शिविरों से युवाओं को छुड़ाकर लाना ही नहीं मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर जमकर विरोध करना आए दिन का काम था। इतने लंबे वक्त से इसी ढर्रे पर चलने वाली महबूबा की यह राजनीति उनके लिए वहां की जनता के बीच मजबूरी भी बन चुकी है।
https://twitter.com/MehboobaMufti/status/1120261550005055489?ref_src=twsrc%5Etfw
सॉफ्ट सेपरेटिज्म

कहा जाता है कि घाटी में सबसे पहली बार महबूबा मुफ्ती के लिए नरम अलगगाववाद (सॉफ्ट सेपरेटिज्म) शब्द का इस्तेमाल किया गया। उनकी राजनीति भी इसी नरम अलगगाववाद के इर्द-गिर्द घूमती है। दक्षिण कश्मीर में जो महबूबा मुफ्ती ने अपना क्षेत्र तैयार किया, वो इसी नरम अलगगाववाद के बल पर था।
अपनी छवि को बरकरार रखने की चुनौती

महबूबा घाटी में जिस राजनीति के दम पर आगे बढ़ीं, भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के दौरान उन्हें कुछ समझौते भी करने पड़े। कई बार महबूबा ने ऐसे बयान दे दिए जो उनके लिए उल्टे साबित हुए। जैसे 2016 में हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद एक पत्रकार वार्ता के दौरान नाबालिग बच्चों के मारे जाने के सवाल पर तैश में आकर उन्होंने कह दिया था कि ‘क्या ये लोग आर्मी कैंप में दूध या टॉफी लेने गए थे?’
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गठबंधन टूटने के बाद महबूबा अब फिर से अपनी पुरानी छवि को भुनाना चाहती हैं। न केवल वह सुरक्षा बलों के ऊपर जनता के अत्याचार का आरोप लगा रही हैं, उन्होंने धमकी दी है कि अगर अनुच्छेद 370 या 35A पर कोई आंच आती है तो कश्मीर भारत से ही अलग हो जाएगा।
पाकिस्तान प्रेम

महबूबा का पाकिस्तान प्रेम आए दिन सामने आता रहता है। सोमवार को उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु बम ईद के लिए नहीं रखे। महबूबा का यह बयान पीएम मोदी के उस बयान के बाद सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने यह परमाणु बम दिवाली के लिए नहीं रखे।
इससे पहले फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद महबूबा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक मौका देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इमरान खान नए (पीएम) हैं और उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए।
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