26 जून को सुनवाई संभव
अधिवक्ता मनमोहन सिंह और शिष्मिता कुमारी की याचिका पर हाईकोर्ट की अवकाश पीठ 26 जून को सुनवाई कर सकती है। पीआईएल याचिकाकर्ताओं ने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर नीति बनाने के लिए लोकसभाध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की है।
केजरीवाल सरकार का ऐलान, दिल्ली के गरीब छात्रों को मिलेगी 100% स्कॉलरशिप
‘लोकसभा में कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्ष’
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि 17वीं लोकसभा में कांग्रेस 52 सदस्यों के साथ विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है। कानून के तहत वह इस पद का असली दावेदार है। इस संबंध में कोई संशय की स्थिति नहीं है, क्योंकि इस नियुक्ति को लेकर कानून बिल्कुल स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को विपक्ष का नेतृत्व प्रदान करने से रोकना गलत उदाहरण होगा और इससे लोकतंत्र कमजोर होगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर न्यू इंडिया का उड़ाया मजाक? शाह और राजनाथ समेत पूरी BJP हुई हमलावर
शक्तिशाली विपक्ष को रोकना जरुरी: याचिकाकर्ता
पीआईएल में कहा गया है कि सत्ता पक्ष पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए शक्तिशाली विपक्ष का होना अनिवार्य है, क्योंकि लोकतंत्र के समुचित ढंग से काम करने के लिए विरोध काफी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह कोई औचित्य नहीं है कि कांग्रेस इसलिए नेता प्रतिपक्ष के पद का दावा नहीं कर सकती, क्योंकि उसके पास सदन में कुल सांसदों का 10 फीसदी हिस्सा नहीं है। सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता राजनीतिक या अंकगणितीय फैसला नहीं है, बल्कि यह वैधानिक फैसला है।
कांग्रेस ने कहा था- नहीं चाहिए पद
केंद्र में दोबारा मोदी सरकार के बनने के बाद कांग्रेस ने कहा था कि जरूरी 54 लोकसभा सीटों से दो सीटें कम होने के कारण वह लोकसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए दावा नहीं करेगी। हालांकि सरकार का यह दायित्व भी है कि.. क्या वह किसी दल को औपचारिक रूप से प्रमुख विपक्षी के तौर पर घोषित करता है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए क्या है नियम
नियमानुसार, विपक्ष का नेता बनाने के लिए किसी पार्टी के पास लोकसभा की कुल 545 सीटों की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। यानि कम से कम 54 सीट। लेकिन कांग्रेस के पास सिर्फ 52 सीटें हैं। यह पद कैबिनेट स्तर का होता है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें मिलने के कारण लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया गया था।