राम मंदिर भूमि पूजन से पहले कांग्रेस ने बदली अपनी रणनीति, जानिए क्या रही वजह कांग्रेस ने ट्वीट किया, “भारत भूमि भगवान राम के मर्यादित जीवन और आदर्शों से सदैव गौरवान्वित हुई है। यही आदर्श महात्मा गांधी का “रामराज्य” हैं जो तप, त्याग, सेवा, कर्तव्य, करुणा, बंधुत्व, सद्भाव का अनुसरण है। आइए यह मार्ग प्रशस्त करें। इस पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ!”
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार दोपहर को ट्वीट कर लिखा, “मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं। वे हमारे मन की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भावना हैं।
राम प्रेम हैं
वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते राम करुणा हैं
वे कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते राम न्याय हैं
वे कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते।”
सियावर रामचंद्र की जय से शुरू और खत्म, पढ़ें भूमि पूजन के बाद PM Modi का पूरा संबोधन जबकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ( Shashi Tharoor ) ने इस मौके पर ट्वीट में लिखा, “ना प्रेम सीखा है, ना त्याग सीखा है
ना करुणा सीखी है, ना अनुराग सीखा है
खुद को राम से बड़ा दिखाकर, खुश होने वालो तुमने
श्री राम चरित मानस का कौन सा भाग सीखा है?”
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ( Kapil Sibal ) ने अप्रत्यक्ष रूप से भूमि पूजन का उल्लेख करते हुए ट्वीट में लिखा, “आस्था का मामला। इतिहास में कुछ घटनाएं होनी तय होती हैं, जो हमारे देश के भविष्य का पंथ तय करती हैें।”
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ( Randeep Surjewala ) ने ट्वीट किया, “राम मंदिर भूमिपूजन की शुभकामनाएँ। आशा है कि त्याग, कर्तव्य, करुणा, उदारता, एकता, बंधुत्व, सद्भाव, सदाचार के रामबाण मूल्य जीवन पथ का रास्ता बनेंगे। जय सिया राम।”
प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे लेकर उम्मीद जताई कि अयोध्या समारोह राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम के लिए एक मौका होगा। प्रियंका ने मंगलवार को कहा कि भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही रामकथा हरिकथा अनंता है।
उन्होंने कहा कि युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोडऩे का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम सबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं, जो रब है वही राम है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने राम को निर्बल का बल कहा था। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बनना चाहिए।
गौरतलब है कि अयोध्या में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुभ मुहूर्त में संतों की उपस्थिति में राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया। इस दौरान पीएम के अलावा सिर्फ चार लोग ही मंच पर मौजूद रहे। इनमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास शामिल थे।