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आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में तीन माह पहले हुए पंचायत चुनाव की 20,178 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने बिना लड़े ही चुनाव जीत लिया था। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट फिर से चुनाव कराने का फैसला सुनाती तो यह तृणमूल सरकार के लिए काफी फजीहत वाली स्थिति बन जाती। इसके साथ ही विपक्ष भी राज्य सरकार पर इस बात को लेकर हमलावार हो जाता कि चुनाव के दौरान तृणमूल द्वारा बनाई गई हिंसा और आतंकवादी रणनीति के कारण ही 20 हजार से अधिक सीटों पर नामांकन नहीं किया गया।
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राज्य में चुनाव को लेकर सीपीएम समेत विपक्षी पार्टियों ने कलकत्ता हाईकेार्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। विपक्षी पार्टियों का तर्क था कि तृणमूल की कथित हिंसात्क रणनीति के कारण ही उनके उम्मीदवार नामांकन नहीं भर पाए थे।