सोनिया गांधी ने बैठक में पहुंचे मुख्यमंत्रियों से पूछा कि राज्य की नीतियों को कितना क्रियान्वित किया गया, यह बात जनता तक बात पहुंची कि नहीं? इस बारे में सोनिया गांधी ने संगठन और मुख्यमंत्रियों से कई सवाल पूछे। उन्होंने यह भी पूछा कि केंद्र द्वारा की जा रही योजनाओं के लिए भारत सरकार से कितना पैसा मिला है और उसका स्टेटस क्या है, जीएसटी का क्या कलेक्शन है?
12 साल में पहली बार कांग्रेस बैठक में नहीं पहुंचे राहुल गांधी, यह थी बड़ी वजह सोनिया ने मुख्यमंत्रियों और संगठन के लोगों को सख्त निर्देश दिए कि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किसी भी कीमत पर न की जाए।
राजधानी में सोनिया गांधी के आवास पर हो रही इस बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने हिस्सा लिया।
बैठक में राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया, पंजाब की प्रभारी आशा कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मकराम भी मौजूद रहे।
बता दें कि सोनिया गांधी पार्टी शासित मुख्यमंत्रियों और प्रभारियों के साथ उस वक्त बैठक कर रही थी जब इनमें से अधिकतर राज्यों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी टकराव की खबरें लगातार आ रही हैं।
राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की बात लंबे समय से कही जा रही है। तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के धड़ों के बीच प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान चल रही है।
हरियाणा: चुनाव प्रभारी बनते ही एक्शन में सैलजा, जिताऊ चेहरों को टिकट और बसपा से गठबंधन! इसी तरह के पंजाब में अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी टकराव की खबरें हाल ही में आई थीं और सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था।
हालांकि सोनिया गांधी ने गुरुवार को पार्टी महासचिवों-प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक में दो टूक कहा था कि पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारों को संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की मिसाल पेश करनी होगी और घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम जनता का विश्वास खो देंगे और परिणाम विपरीत होंगे।