विजय सिन्हा को 126 वोट मिले, जबकि आरजेडी के उम्मीदवार को 114 मत ही मिले। यह पहला मौका है जब बिहार विधानसभा का अध्यक्ष पद भाजपा को मिला है। आईए जानते हैं कौन है विजय सिन्हा और वो तीन कारण जिसकी वजह से बीजेपी ने विजय सिन्हा को सौंपी बड़ी अहम जिम्मेदारी।
आमने-सामने आए दक्षिण के दो सुपर स्टार और भाई , जानें क्या है दोनों के बीच मतभेद की वजह विजय कुमार सिन्हा मूल रूप से पटना जिले के मोकामा प्रखंड अंतर्गत बादपुर गांव के रहने वाले हैं। विजय सिन्हा के पिता शिक्षक थे। 05 जून 1967 को जन्मे विजय कुमार सिन्हा इंजीनियरिंग की शिक्षा ली है। विजय सिन्हा को चार संतान हैं। दो बेटे और दो बेटियां।
बड़ा बेटा इंजीनियर है। छोटा बेटा भी इंजीनियरिंग में पढ़ रहा है। जबकि दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। वर्तमान में विजय सिन्हा बिहार की लखीसराय विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्हें इस चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत मिली है। पिछली सरकार में सिन्हा श्रम संसाधन मंत्री थे।
इन तीन वजहों से बीजेपी ने सौंपी जिम्मेदारी 1. सवर्णों को साधना
बीजेपी ने 51 वर्ष बात हुए स्पीकर पद के लिए विजय सिन्हा के रूप में ऐसा विजय दांव खेला जिससे वो सीधे तौर पर सवर्णों को साथ सकें। दरअसल बीजेपी चुनाव से पहले पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को संतुष्ट करने के लिए कई घोषणाएं कर चुकी हैं, ऐसे में सवर्णों को साधने के लिए विजय सिन्हा प्रदेश का बड़ा नाम हैं।
2. मोदी के करीबी
बीजेपी के कर्मठ कार्यकर्ताओं के तौर पर विजय सिन्हा को जाना जाता है। लेकिन इससे भी ज्यादा उनको मिली जिम्मेदारी की वजह रही उनका उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का करीबी होना। मोदी के खास होने के चलते भी पार्टी को उन पर भरोसा था। लिहाजा विजय को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी गई।
देश के इन राज्यों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है चक्रवाती तूफान का खतरा, इन जिलों को लेकर मौसम विभाग ने जारी किया सबसे बड़ा अलर्ट 3. विरोधी लहर में भी भरोसेमंददरअसल विजय सिन्हा को अहम जिम्मेदारी देने के पीछे बीजेपी के पास एक और बड़ी वजह रही उनमें विरोधी लहर में भी चुनाव जीतने की कुवत। 2015 के चुनाव के दौरान जब प्रदेश में महागठबंधन की लहर थी, उस दौरान भी विजय सिन्हा अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। लखीसराय के लोगों ने विजय सिन्हा पर अपना भरोसा जताया था, इसी का नतीजा रहा कि बीजेपी ने स्पीकर जैसे अहम पद के लिए ‘विजय’ दांव खेला।