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कर्नाटक: जानिए कौन हैं नवनियुक्त सीएम बसवराज बोम्मई? BJP ने क्यों जताया भरोसा?

भाजपा विधायक दल की बैठक में राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर गृह मंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj S Bommai) के नाम की घोषणा की गई। अब बसवराज बोम्मई बीएस येदियुरप्पा की जगह लेंगे।

नई दिल्लीJul 27, 2021 / 09:37 pm

Anil Kumar

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Basavaraj S Bommai Elected As New Chief Minister of Karnataka

बेंगलुरु। कर्नाटक में बीते कुछ दिनों से चल रहे सियासी हलचल के बीच अब मंगलवार को राज्य को नया मुख्यमंत्री मिल गया। भाजपा विधायक दल की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है और राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नाम की घोषणा की गई। बसवराज बोम्मई बीएस येदियुरप्पा की जगह लेंगे। बीएस येदियुरप्पा ने बीजेपी विधायक दल की बैठक में बसवराज के नाम पर प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

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इसके बाद पर्यवेक्षक के तौर पर कर्नाटक पहुंचे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के लिए बसवराज बोम्मई के नाम की घोषणा की। अब बसवराज कल (बुधवार) नए मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं। बता दें कि एक दिन पहले (सोमवार) कार्यवाहक सीएम बीएस येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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कौन हैं बसवरात बोम्मई?

आपको बता दें कि बसवराज बोम्मई वर्तमान में कर्नाटक सरकार में गृहमंत्री हैं। माना जाता है कि लिंगायत समुदाय पर बोम्मई का काफी प्रभाव है। अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत जनता दल के साथ करने वाले बोम्मई ने 2008 में पार्टी का साथ छोड़ दिया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद लगातार उनका कद बढ़ता ही चला गया। इससे पहले बोम्मई प्रदेश की बीजेपी सरकार में जल संसाधन मंत्री रह चुके हैं।

बोम्मई पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा समूह से की थी। वे तीन बार विधायक और दो बार एमएलसी रह चुके हैं। बोम्मई के पिता एसआर बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

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BJP ने क्यों बसवराज बोम्मई पर जताया भरोसा?

दरअसल, बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं और उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। हालांकि, लिंगायत समुदाय में येदियुरप्पा की भी पकड़ काफी अच्छी है। अब चूंकि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और हर मोर्चे पर अपनी मजबूती को बढ़ाना चाहती है।

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ऐसे में कर्नाटक और दक्षिण भारत पर अपनी स्थिति को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने संभवतः यह फैसला लिया है। चूंकि भाजपा ने 75 साल का एक मानक तय किया है और येदियुरप्पा की आयु भी 75 साल से अधिक हो चुकी है, ऐसे में वे अगली बार के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। लिहाजा, राज्य में विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर नई टीम को मौका दिया है।

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कर्नाटक में भाजपा का कोई सीएम पूरा नहीं कर सका अपना कार्यकाल

आपको बता दें कि कर्नाटक में भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। बीजेपी से सबसे अधिक चार बार मुख्यमंत्री बने बीएस येदियुरप्पा पांच दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि वे एक बार भी अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर सके। बीजेपी की ओर से येदियुरप्पा के अलावा जगदीश शेट्टार और डीवी सदानंदा गौड़ा भी मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन ये दोनों नेता भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

कर्नाटक में पहली बार 2007 में भाजपा की सरकार बनी और बीएस येदियुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से मात्र सात दिन में (19 नंवबर 2007) इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया।

2008 में जब फिर से राज्य में चुनाव हुए तो भाजपा ने भारी बहुमत के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और बीएस येदियुरप्पा फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 30 मई 2008 को सीएम पद की शपथ ली। लेकिन एक बार फिर से तीन साल बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस बार भाजपा नेतृत्व के साथ अनबन होने की वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ते हुए 31 जुलाई 2011 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

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येदियुरप्पा की जगह डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 4 अगस्त 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन एक साल पूरा होने से पहले उन्हें 12 जुलाई 2012 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब सदानंद की जगह जगदीश शेट्टार को सीएम की कुर्सी सौंपी गई। शेट्टार ने 12 जुलाई 2012 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

इसके बाद 2013 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा को बड़ा झटका लगा और बुरी तरह से चुनाव हार गई। ऐसे में शेट्टर को 12 मई 2013 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे ना पड़ा। 2013 में कांग्रेस की सरकार बनी और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

इसके बाद 2014 में एक बार फिर से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले येदियुरप्पा ने भाजपा में वापसी की। इस बार भाजपा ने येदियुरप्पा को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया, जिसके बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी तो की, लेकिन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई।

हालांकि, भाजपा ने बहुमत होने का दावा करते हुए येदियुरप्पा को सीएम पद की शपद दिला दी। इस तरह येदियुरप्पा ने तीसरी बार 17 मई 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए और उन्हें 23 मई 2018 को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी और एचडीकुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने। लेकिन एक साल के भीतर ही कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिर गई और एकबार फिर से भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और इस तरह से बीएस येदियुरप्पा ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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