कश्मीर मुद्दे पर दुख होता है यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर लोगों के अलगाव को देख रहा हूं। यह ऐसी चीज है जो मुझे बहुत दुख देती है। हमने उन लोगों को भावनात्मक तौर पर खो दिया है । उन्होंने कहा कि यह समझने के लिए घाटी का दौरा करना पड़ेगा कि उनका हम पर भरोसा अब नहीं रहा। गौरतलब है कि कंसर्न्ड सिटिजंस ग्रुप’ (सीसीजी) को नेतृत्व कर रहे यशवंत सिन्हा का कई बार घाटी का दौरा हो चुका है और विभिन्न पक्षों से संवाद हुआ है। इस ग्रुप में सीसीजी में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) ए पी शाह, मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त जूलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत, जानीमानी समाज सेविका अरुणा रॉय और मशहूर लेखक एवं इतिहासकर रामचंद्र गुहा सहित कई अन्य गणमान्य लोग शामिल हैं । सिन्हा ने दावा किया कि उन्होंने 10 महीने पहले कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा था, लेकिन उन्हें ‘‘दुख’’ है कि मिलने का समय नहीं मिल सका ।
किसी प्रधानमंत्री ने मिलने से नहीं रोकापूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं दुखी हूं । मैं निश्चित तौर पर दुखी हूं । आप मिलने का समय मांगते हैं, 10 महीने बीत गए । मैं आपको बता दूं कि जब से मैं सार्वजनिक जीवन में आया हूं,
राजीव गांधी से लेकर भारत के किसी प्रधानमंत्री ने मुझे मिलने का वक्त देने से मना नहीं किया । किसी प्रधानमंत्री ने यशवंत सिन्हा को ये नहीं कहा कि मेरे पास आपके लिए समय नहीं है । उन्होंने कहा, ‘‘और यह मेरे अपने प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया । ऐसे में यदि कोई मुझे फोन करे और कहे कि कृपया मेरे पास आएं, तो माफ करें, वक्त निकल चुका है । मुझसे बुरा बर्ताव किया गया ।’’ सिन्हा ने जेटली की इस टिप्पणी के लिए भी उन्हें निशाने पर लिया कि
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटाकर विदेश मंत्री बनाना ‘‘पदावनति’’ थी ।
जेटली पर सिन्हा का तंज सिन्हा ने कहा, ‘‘जेटली यह कैसे कह सकते हैं कि वित्त से हटाकर विदेश मंत्रालय देना मेरे लिए पदावनति थी ? क्या जेटली जी यह कहना चाहते हैं कि मौजूदा विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज पूरी तरह महत्वहीन प्रभार संभाल रही हैं ? कोई इस पर यकीन नहीं करने वाला