नौतपा का विज्ञान से भी पहले ज्योतिषीय आधार पर महत्वपूर्ण स्थान है। ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि जब रोहिणी नक्षत्र में सूर्य प्रवेश करता है तो इस दौरान जो स्थिति निर्मित होती है, उसे नौतपा कहते हैं। साथ ही जब चंद्रमा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो ये स्थिति नौतपा कहलाती है।
खास बात ये भी है कि नौतपा भी उन कतिपय घटनाओं में से एक है, जिसकी गणना की जाए तो ये प्रति वर्ष 25 मई से ही शुरू होते हैं। लेकिन इसके प्रारंभ होने का समय परिवर्तित हो जाता है। इस वर्ष सूर्य 25 मई को सुबह को 3 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। उसके बाद 2 जून को मृगशिरा नक्षत्र में जाएंगे। शुरू के 9 दिन सबसे भीषण गर्मी होने की वजह से इसे नौतपा कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा साल में एक बार होता है, जब सूर्य पर रोहिणी नक्षत्र की दृष्टि पड़ती है। सूर्य किसी भी नक्षत्र में 15 दिन के लिए होता है। लेकिन इसके शुरू होने के पहले चन्द्रमा जिन 9 नक्षत्रों पर रहता है, वह दिन नौतपा कहलाते हैं। यही कारण है कि इन नौ दिनों में गर्मी अधिक रहती है। चूंकि मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी कम हो जाती है। इससे धूप और तेज हो जाती है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है, जबकि चंद्रमा शीतलता का।
रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा ही है। जब सूर्य चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो सूर्य चंद्रमा के इस नक्षत्र को भी अपने प्रभाव में ले लेता है। जिसके कारण रोहिणी नक्षत्र का तापमान भी बढऩे लगता है। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है तो इस दौरान तापमान बढऩे से धरती पर आंधी, तूफान आने की आशंका भी बढ़ जाती है।
मान्यताओं के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. गील ने बताया कि ज्येष्ठ माह में सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी बारिश के अच्छे योग बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि नौतपा जितने अधिक तपते हैं तो उस साल बारिश भी अच्छी होती है।
इसी प्रकार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो तो पूरे बारिश के मौसम में अच्छी बारिश के योग माने जाते हैं। यदि इन दसों नक्षत्रों में बारिश न हो तो और इन्हीं नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़ जाए तो समझो उस साल बारिश जमकर होगी। है। शास्त्र में उल्लेखित है कि ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका। सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।