अन्य जीवों के समान सांपों में भी होती है अपने क्षेत्राधिकार के लिए जंग
धामण प्रजाति के नर सांपों में वर्चस्व के लिए लड़ाईहारने वाले को छोडऩा होता है संबंधित एरिया
अन्य जीवों के समान सांपों में भी होती है अपने क्षेत्राधिकार के लिए जंग
प्रतापगढ़. अमुमन कई जीव-जंतुओं में अपने क्षेत्र के लिए जंग कई सदियों से चल रही है। इसी प्रकार की जंग धामण प्रजाति के नर सांपों में होती है। इन दिनों देखी जा सकती है। यह समय इस सांप के प्रजाति के लिए प्रजनन से ठीक पहले का है। इस समय होने वाली जंग कई घंटों तक चलती है। रेट स्नैक के नर सांपों में होने वाली जंग को कई लोग यह भ्रम होता है यह नर-मादा है, जो मेटिंग करते है। जबकि सच यह है कि दोनों सांप नर होते है जो अपने क्षेत्राधिकार और उस इलाके में रहने वाली मादा पर अपना कब्जा जताने के लिए करते है।
विषहिन होता है धामण सांप: इस प्रजाति के सांप विषहिन होते है। जो चूहे खाते है।इसी कारण इसे रेट स्नैक भी कहा जाता है। धामण प्रजाति का सांप शर्मिला होता है। इसको चूहे अधिक पसंद होते है। इसी कारण इसे रेट स्नैक कहा जाता है।
चुंकि यह जहरीला नहीं होता है और चूहे का सफाया करता है। ऐसे में यह किसानों का मित्र कहलाता है।
प्रदेश का सबसे शक्तिशाली सांप: धामण सांप राजस्थान के सबसे शक्तिशाली सांप होता है। इसका वजन चार-पांच किलो तक का होता है। इसकी मांशपेशियां शक्तिशाली होती है।
बताया गया कि इसकी शक्ति वजन से सात-आठ गुना तक पकड़ होती है। इसका रंग भूरा, हल्का मटमैला, खाकी कलर का होता है। यह सांप मोटा होता है, ऐसे में लोग इसे कोबरा समझ जाते है।
संरक्षित सूची में है धामण सांप: यह सांप वन्यजीव अधिनियम १९७२ की अनुसूचि दो/दो के तहत संरक्षित है। इसके शिकार पर तीन से सात वर्ष की सजा का प्रावधान भी है। इस कारण इस सांप का संरक्षण करना चाहिए। आम लोगों को इसे मारना नहीं चाहिए।
होती है क्षेत्र के लिए लड़ाई
&धामण प्रजाति के सांप के नर में क्षेत्र के लिए जंग होती है। इसमें दो नर सांप जब आमने-सामने होते है तो इनकी जंग शुरू हो जाती है।जो कई घंटों तक भी हो सकती है। ये सांप विषहिन होते है।ऐसे में इनको मारना नहीं चाहिए।
संग्रामसिंह कटियार , उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़ ़
नहीं करें शिकार, करें संरक्षण
&धामण सांप की प्रजाति किसानों का मित्र होते है। यह विषहिन होता है। ऐसे में इसका संरक्षण करना चाहिए। खेतों में यह चूहे का सफाया करता है। इस कारण फसलों की सुरक्षा के लिए सहायक है।
देवेन्द्र मिस्त्री, प्रकृतिविद, प्रतापगढ़
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