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प्रयागराज

निर्दोष लोगों के खिलाफ हो रहा गोवध संरक्षण अधिनियम का इस्तेमालः हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने गोवध संरक्षण अधनियिम के दुरुपयोग पर जतायी चिंता
छुट्टा पशओं की देखभाल की हालत पर भी न्यायालय चिंतित

प्रयागराजOct 27, 2020 / 04:16 pm

रफतउद्दीन फरीद

Allahabad High Court

प्रतीकात्मक

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गोवध संरक्षण कानून के दुरपयोग को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए चिंता जतायी है। कोर्ट ने छुट्टा पशुओं की देखभाल की हालत को लेकर भी चिंतित है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गोवध संरक्षण कानून का इस्तेमाल निर्दोष लोगों के खिलाफ हो रहा है। मांस बरामद होने पर उसकी जांच कराए बिना ही उसे गोमांस कहकर निर्दोष व्यक्ति को जेल में भेज दिया जाता है, जो शायद उसने किया ही नहीं है। कोर्ट ने छुट्टा घूमने वाले जानवरों की देखभाल की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा गोवध अधिनियम को सही भावना से लागू करने की जरूरत बतायी है।

 

जस्टिस सिद्घार्थ ने गोवध अधिनियम के तहत जेल में बंद रामू उर्फ रहीमुद्दीन की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में ये बातें कहीं। याची की अर्जी पर सुनवाई करते हुए उसकी जमानत मंजूर कर ली और निर्धारित प्रक्रिया पूरी करते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया।रामू उर्फ रहीमुद्दीन की जमानत अर्जी में कहा गया था कि एफआईआर में उसके खिलाफ न तो कोई विशेष आरोप हैं और न ही वह घटनास्थल से पकड़ा गया है। इसके अलावा पुलिस ने बरामद हुए मांस की असलीयत जानने की भी कोशिश नहीं किया कि वह वाकई में गोमांस ही है या किसी आन्य जानवर का मांस।

 

कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा है कि ज्यादातर मामलों में मांस पकड़े जाने पर उसे गोमांस बता दिया जाता है। मांस को फाॅरेंसिक लैब नहीं भेजा जाता और आरोपी को उस जुर्म में जेल जाना होता है जिख्में सात साल तक की सजा है और विचारण प्रथम श्रेणि के मजिस्ट्रेट की अदालत में होता है।

 

कोर्ट ने इसको लेकर और भी कई बातें कहीं। मसलन जब कोई गोवंश बरामद किया जाता है तो न तो कोई रिकवरी मेमो तैयार किया जाता है और न ही किसी को पता होता है कि बरामदगी के बाद उन्हें कहां ले जाया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि गोशाला और गो संरक्षण गृह दूध न देने वाले पशुओं को नहीं लेते। उनके मालिक भी उन्हें खिला पाने में सक्षम नहीं।

 

पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पकड़े न जाएं इस डर से वो इन पशुओं को किसी दूसरे राज्य में भी नहीं ले जा सकते। ऐसी स्थिति में दूध न देने वाले जानवरों को छुट्टा छोड़ दिया जाता है। ऐसे पशु किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। इतना ही नहीं सड़क और खेत दोनों जगह समाज को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इन्हें गो संरखण गृह या अपने मालिकों के घ्ज्ञर रखने के लिये कोई रास्ता निकाले जाने की जरूरत है।

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