विपुल ने अपने रिपोर्ट में बताया था कि 25 जुलाई 2018 से 24 नवंबर 2018 के बीच इनके प्लांट का ईएसपी मशीन (पॉल्यूशन कंट्रोल करने की मशीन) खराब हो गया था। ऐसे में इन्हें मशीन की आवश्यकता थी, तभी इनके द्वारा गूगल में सर्च करने पर इन्हें ईएमईसी नामक कंपनी दिखी। जोकि ईएसपी मशीन की बिक्री करती है। उक्त कंपनी को गूगल में श्रुतो सोम व उसकी पत्नी ने फर्जी आईडी, पेन कार्ड व आधार कार्ड के जरिए बनाया था। आरोपी द्वारा बनाए गए साइट में मशीन की कीमत भी कम थी। ऐसे में विपुल ने श्रुतो से संपर्क किया। इसके बाद आरोपी ने शिव शक्ति प्लांट से एक करोड़ रुपए का आर्डर लिया। वहीं शर्तों के तहत मशीन की एक तिहाई राशि 28 लाख 83 हजार चार सौ 81 रुपए 24 अगस्त 2018 से 18 फरवरी 2019 के बीच अपने बैंक में डलवा लिया। वहीं जब ऑर्डर लेकर माल सप्लाई करने की बारी आई तो आरोपी टाल-मटोल करने लगा। इसके बाद मौका देखकर आरोपी रायगढ़ स्थित होटल छोड़ कर फरार हो गया और अपने मोबाइल नंबर को भी बंद कर पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थान पर छिप कर रहने लगे।
महिला बल नहीं थी, इसलिए आरोपी की पत्नी को नहीं भेजा
मिली जानकारी के अनुसार पुलिस टीम को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि आरोपी श्रुतो के साथ उसकी पत्नी भी मिल जाएगी। इसलिए पुलिस टीम में कोई महिला पुलिस नहीं थी। ऐसे में चूचड़ा न्यायालय ने रायगढ़ पुलिस की टीम को महिला को ट्रांजिट रिमांड पर ले जाने से मना कर दिया और उसे चूचड़ा के ही जेल में दाखिल कर दिया। 15 जनवरी को पश्चिम बंगाल की ही महिला पुलिस की टीम आरोपी महिला को रायगढ़ लेकर आएगी।
शातिर माइंड है आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी श्रुतो सोम घोष बहुत शातिर है। उसने बीटेक के साथ अन्य कोर्स किया है। आरोपी चीन और जापान में 50 हजार की तनख्वाह पर इंजीनियरिंग का काम भी कर चुका है, लेकिन उसे वहां रास नहीं आने पर 2017-18 में वह रायगढ़ आ गया और शहर के राजश्री होटल में किराए में रह कर अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए गूगल में फर्जी कंपनी बनाया और लाखों की ठगी करके फरार हो गया। पुलिस ने बताया कि उक्त कंपनी दोनों पति-पत्नी के नाम पर थी। वहीं उनकी पत्नी उस कंपनी की पार्टनर भी थी। इसलिए पुलिस ने उसे भी आरोपी बनाया है।