उधर, जुलाई में हुई मौते के आंकड़ों में भी अगर नजर डाली जाए तो वहां भी 30-35 प्रतिशत मौतों का कारण सांस संबंधी बीमारी, सांस लेने में परेशानी, सांस फूलना और शरीर में ऑक्सीजन लेवल का गिरना पाया गया है। पड़ताल में सामने आया कि सांस की बीमारी के मरीज बहुत देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं, जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। देखते ही देखते ऑक्सीजन और फिर वेंटीलेटर तक पहुंच जा रहे हैं। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी जान बचा पाना मुश्किल हो रहा है। यही वजह है कि बार-बार स्वास्थ्य विभाग और विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सांस के मरीज पूरी सावधानी बरतें।
विशेषज्ञ इस वायरस को लंग्स ईटर (फेफड़ों को खाने वाला) वायरस करार दे रहे हैं। राज्य सरकार ने ब्रेथलेसनेस की समस्या को भांपते हुए चार दिन पहले सभी जिला कलेक्टरों को होम आइसोलेट किए गए मरीजों के लिए ऑक्सीमीटर खरीदने के निर्देश दिए थे। ताकि मरीज स्वयं से अपना ऑक्सीजन लेवल जांच सके, अगर मिलता है तो तत्काल वह या उसके परिजन स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दें। गौरतलब है कि यह समस्या पूरे देश में है, यही वजह है कि विभिन्न राज्यों की सरकारें होम आईसोलेट किए जा रहे मरीजों को ऑक्सी मीटर मुहैया करवा रही हैं।