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बायपास सर्जरी कराने वाले मरीजों की वेटिंग 1400 से ऊपर पहुंच चुकी है। इसमें 15 से ज्यादा मरीजों की मौत भी हो चुकी है। वहीं कइयों ने 3 से 4 लाख रुपए खर्च कर निजी अस्पतालों में सर्जरी कराई।
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एम्स में लंबी वेटिंग निजी का सहारा एसीआई आने वाले मरीजों को एम्स रैफर किया जाता है, लेकिन ज्यादातर मरीज लंबा इंतजार न करते हुए निजी अस्पतालों में सर्जरी कराते हैं। एसीआई में आयुष्मान व डॉ. खूबचंद बघेल कार्ड वालों का फ्री ऑपरेशन होगा। जबकि बिना कार्ड वालों का डेढ़ लाख में इलाज हो जाएगा। वहीं निजी अस्पतालों में बायपास सर्जरी के लिए 3 से 4 लाख रुपए खर्च हो रहा है। इसलिए बिना कार्ड वाले मरीजों को यह भारी पड़ रहा है। कार्ड वाले मरीजों को भी पैकेज के अलावा अतिरिक्त राशि देनी पड़ रही है।दिल के मरीजों के लिए बायपास सर्जरी तो दूर अभी रेगुलर व संविदा भर्ती के लिए नियम ही नहीं बन पाया है। विभाग ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को नियम बनाकर भेज दिया है, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली है। विधानसभा चुनाव तक अभी भर्ती नियम को मंजूरी मिलने की कोई संभावना भी नहीं है। चुनाव तब तक बायपास सर्जरी भी अटकी रहेगी। तब तक मरीजों को निजी अस्पतालों का ही सहारा रहेगा। एसीआई में 138 पदों पर भर्ती की जाएगी।
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बायपास सर्जरी डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के पैकेज के तहत की जा रही है। अस्पताल में ऐेसे काफी मरीज आ रहे हैं। डॉ. देवेंद्र नायक, चेयरमैन बालाजी अस्पताल