scriptकन्फर्मेशन फॉर्म से खुलेगी मुन्ना भाइयों की कुंडली, मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में फर्जी प्रमाणपत्र का मामला | Case of grabbing seats through fake certificates in medical colleges | Patrika News
रायपुर

कन्फर्मेशन फॉर्म से खुलेगी मुन्ना भाइयों की कुंडली, मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में फर्जी प्रमाणपत्र का मामला

– छात्रों में डर, दाखिले रद्द करवाने की प्रक्रिया कॉलेजों से पूछ रहे- फस्र्ट राउंड आवंटन से दाखिला ले चुके छात्रों को फॉर्म जमा करने दिए गए 3 दिन

रायपुरNov 23, 2020 / 11:05 pm

CG Desk

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रायपुर. प्रदेश के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की सीट हथियाने के लिए जिन-जिन छात्रों ने फर्जी मूल-निवासी प्रमाण-पत्रों का इस्तेमाल किया, उन सबकी कुंडली कुछ ही दिनों में खुलने वाली है। सरकार के आदेश पर चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने सभी मेडिकल कॉलेज डीन को पत्र लिखकर दाखिला ले चुके छात्रों से कंफर्मेशन फॉर्म जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए 3 दिन का समय दिया गया है। नीट परीक्षा के लिए आवेदन करते हुए अभ्यर्थी अपने मूल-निवासी प्रमाण-पत्र का जिक्र करता है, जो अनिवार्य होता है।
मगर, वह अपने कई मूल-निवासी प्रमाण-पत्रों का इस्तेमाल राज्यों के मेडिकल कॉलेजों के प्रवेश नियमों की खामियों का फायदा उठाते हुए करता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरह ही अन्य राज्यों ने कभी खामियों को दूर करने की कोशिश नहीं की। हमेशा यही कहा गया कि अभ्यर्थी के पास एक से अधिक प्रमाण-पत्र हैं तो हमें कैसे पता चलेगा। ‘पत्रिका’ द्वारा किए गए इस पूरे फर्जीवाड़े के बाद सरकार न सिर्फ हरकत में आई बल्कि अब सख्त कानून बनाने की भी तैयारी है। ताकि ऐसी राज्य के छात्रों का हक न मारा जाए। हालांकि 2012, 2016 और 2018 में यह मुद्दा उठा मगर उच्च स्तर पर संज्ञान पहली बार लिया गया।
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विशेषज्ञों के मुताबिक
सीट आवंटन की प्रक्रिया- नीट आयोजनकर्ता एजेंसी राज्य को देश की पूरी मैरिट सूची को सीडी में देती है। जिसे संचालनालय की काउंसिलिंग कमेटी अपने सिस्टम में अपलोड करती है। इस दौरान पोर्टल खोलकर राज्य कोटा की सीटों के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगवाए जाते हैं, जो छत्तीसगढ़ के मूल-निवासियों के लिए आरक्षित हैं। इसके बाद राज्य की मैरिट जारी कर दी जाती है।
क्या करना चाहिए?
– सीडी में नीट पात्र अभ्यर्थी की पूरी जानकारी होती है, कि उसने नीट का फॉर्म भरते वक्त किस राज्य का मूल-निवासी प्रमाण-पत्र का उल्लेख किया है। ऐसे में नीट के दस्तावेज और राज्य में ऑन-लाइन आवेदन के वक्त दी गई जानकारी का मिलान किया जाए तो यह समस्या खत्म हो सकती है। गड़बड़ी उजागर होती है। मध्यप्रदेश ने इसी सिस्टम से इस साल 72 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग से बाहर कर दिया।
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