CG Health: प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने नेत्र शिविरों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अगर कोई संस्था शिविर लगाना चाहती है तो इसके लिए विभाग से अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। हाल में प्रदेश के एक शहर में बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज जैसे भ्रामक पांपलेट बंटवाए गए थे। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेते हुए शिविर पर प्रतिबंध लगा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग का यह कदम लोगों के हित में है।
प्रदेश में पहले भी मोतियाबिंद कांड हो चुके हैं। बागबाहरा, बालोद, राजनांदगांव, कवर्धा के अलावा एस में मोतियाबिंद कांड हो चुका है। इसमें 50 से ज्यादा मरीजों की एक आंख (CG Health) की रोशनी चली गई थी। बालोद वाले मामले में नेत्र सर्जन समेत सीएमएचओ को सस्पेंड किया गया था। वहीं बाकी स्थानों पर कोई न कोई कार्रवाई हुई थी।
हैल्थ डायरेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने सभी जिलों के सीएमएचओ को पत्र लिखकर कहा है कि अवैध व भ्रामक जानकारी देकर कोई भी नेत्र शिविर (CG Health)नहीं लगा सकता। मोतियाबिंद ऑपरेशन राष्ट्रीय कार्यक्रम में आता है। ऐसी भ्रामक बातों से जनसामान्य भ्रमित होता है। इससे ऑपरेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होती है। रघुवंशी ने कहा है कि भ्रामक प्रचार कर शिविर लगाने वालों पर कार्रवाई करें। शिविर के लिए जरूरी मापदंडों का पालन करते हुए अनुमति दी जाए।
एस में अप्रैल 2018 में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान 5 मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया था। आनन-फानन में सभी मरीजों को राजधानी के निजी आई अस्पताल (CG Health) में भर्ती किया गया था। इस मामले में जांच के लिए एस प्रशासन ने कमेटी बनाई थी। कमेटी ने मरीजों का ऑपरेशन करने वाली महिला नेत्र सर्जन को मामले में दोषी पाया था।
कमेटी की रिपोर्ट के बाद एस प्रशासन यानी तत्कालीन डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर ने महिला नेत्र सर्जन के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। कार्रवाई होने के पहले ही महिला डॉक्टर (CG Health) नौकरी छोड़कर चली गई थी। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। वर्तमान में यह महिला नेत्र सर्जन प्रदेश के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रही हैं।
Published on:
04 Jun 2024 12:58 pm