भाजपा के खाते में पिछले चुनाव में इन आरक्षित 10 सीटों में में से 9 सीटें आई थी वहीं कांग्रेस को एक सीट मिली। इन सीटों पर अगर भाजपा अपने प्रदर्शन को बरकरार रखती है तो उसके लिए सत्ता हासिल करना आसान होगा वहीं अगर कांग्रेस या फिर जकांछ और बसपा का गठबंधन ,भाजपा को परास्त करने में कामयाब रहता है तो विधानसभा में वो मजबूत होकर आएंगे। मौजूदा विधानसभा में बसपा के केशव चंद्रा जिस सीट से विधायक हैं वो अनारक्षित है।
पामगढ़ को छोडक़र बाकी सीटों पर जीत का अंतर 10 हजार से ज्यादा रहा है। यह स्थिति तब थी जब जोगी कांग्रेस के साथ थे। मतलब साफ़ है कि अगर बसपा और जोगी कांग्रेस मिल भी जाते हैं तो मुंगेली और डोंगरगढ़ को छोडक़र किसी और विधानसभा में कोई बड़ा उलटफेर करेंगे इसकी संभावना कम है।