रिक्त पद भरे तो मिले रोजगार, होगा सुधार
प्रथम वर्ष के छात्र चंद्रशेखर तिवारी ने उच्च शिक्षा विभाग में खाली पड़े पदों की गिनती गिनाते हुए कहा, प्रदेशभर में वर्षों से हजारों शिक्षकों का अभाव बना हुआ है, साथ ही यही स्थिति गैर-शैक्षणिक पदों पर भी बनी हुई है। ऐसे में यदि इन पदों को भर दिया जाए, तो बेरोजगारी तो दूर होगी ही, साथ ही शिक्षा गुणवत्ता में भी सुधार हो सकेगा।
एक नजर रिक्त पदों पर
पद स्वीकृत कार्यरत
स्नातकोत्तर प्राचार्य 47 1
स्नातक प्राचार्य 169 104
प्राध्यापक 525 0
सहायक प्राध्यापक 3439 2171
खेल अधिकारी 115 53
ग्रंथपाल 123 65
रजिस्ट्रार 18 9
हॉस्टल अधीक्षक 32 25
सहायक ग्रेड(1,2,3) 699 448
लैब तकनीशियन 826 587
कक्षा तीन, कमरे दो
इसी बीच बाइक पर बैठे छात्र अभिषेक साहू ने दबी जुबान से कक्षाओं की कमी की ओर इशारा किया, उनका कहना था कि बीए के तीनों संकाय के लिए कालेज में सिर्फ दो ही कमरे हैं। इसमें भी एक कमरे को सेकंड इयर के विद्यार्थियों के लिए तय कर दिया गय है और प्रथम व तृतीय वर्ष के छात्र सामूहिक रूप से एक ही कमरे में पढ़ाई करते हैं। इस दौरान 400 से अधिक विद्यार्थियों के बीच बैठकर ब्लैक बोर्ड तक देखना मुश्किल हो जाता है।
विकास की रफ्तार से संतोष
दोपहर बाद करीब 3 बजे हम पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय पहुंची। यहां परिसर में जाते ही दशहरे की छुट्टियों के कारण चहल पहल कम थी। फिर भी डाकघर के बगल में रिफ्रेशमेंट प्वाइंट पर एम.कॉम. के छात्र नीरज सेन और मंजी राजपूत आपसी चर्चा में मशगूल दिखे। उन्होंने मौजूदा विकास कार्यों के प्रति खुशी जाहिर करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में भी विकास की रफ्तार धीमी तो है पर कौन सी ऐसी सरकार है, जो आते ही सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर देगी।
शिक्षाकर्मियों से नाखुश
अभिषेक राव ने फिर से नीति निर्धारण करने वालों की कार्यशैली पर प्रश्न-चिन्ह लगाते हुए कहा, आनन-फानन में शिक्षाकर्मियों की भर्तियां तो की, पर योग्यता की जांच करना जिम्मेदारों ने जरूरी नहीं समझा। ऐसे में जिन्हें हिंदी और अंग्रेजी तक नहीं आती, उन्हें शिक्षा की नींव रखने की जिम्मेदारी दी गई है। कक्षा आठवीं तक सभी छात्रों को जबरन पास करने की नीति ने शिक्षा के स्तर को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।