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रायपुर

रविवि और छत्तीसगढ़ कॉलेज के स्टूडेंट्स ने चुनावी मुद्दों पर रखी अपनी बेबाक राय

छात्र ने दबी जुबान से कक्षाओं की कमी की ओर इशारा किया, उनका कहना था कि बीए के तीनों संकाय के लिए कालेज में सिर्फ दो ही कमरे हैं

रायपुरOct 24, 2018 / 09:20 am

Deepak Sahu

PRSU Students

रविवि और छत्तीसगढ़ कॉलेज के स्टूडेंट्स ने चुनावी मुद्दों पर रखी अपनी बेबाक राय

रायपुर . राजधानी की चौड़ी सडक़ों पर व्यस्त यातायात के बीच दोपहर की तीखी धूप में वाहन चलाने में पसीना निकल जाता है। फिर भी छात्र-छात्राएं शिक्षा के लिए इससे परहेज नहीं करते और रोजाना अपने स्कूल, कॉलेजों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और करें भी क्यूं नहीं सवाल शिक्षा का है।
इसी चिलचिलाती धूप और ट्रैफिक से जूझते संकरी वन-वे रोड से होते हुए हम पानी टंकी से लगे 1938 से संचालित शासकीय पं. जे. योगानंद छत्तीसगढ़ कॉलेज पहुंचे। मेन गेट में प्रवेश करते ही बायीं ओर गाड़ी पार्र्किंग की। आस-पास नजर दौड़ाने पर पार्किंग स्थल पर कुछ मजदूर काम करते नजर आए। वहीं कुछ दूरी पर युवा खड़े थे। हम उनके पास पहुंचे और चुनाव व मुद्दों को लेकर चर्चा छेड़ी।
इस पर पता चला की वे पहली बार अपने मत का प्रयोग करने वाले हैं। तो हमने भी वर्तमान व्यवस्थाओं पर उनकी नब्ज टटोली, इस पर अभिषेक राव ने परिसर के प्रवेश द्वार पर लगे फ्री वाइ-फाइ के बोर्ड की ओर इशारा करते हुए कहा यह महज दिखावा है और प्रवेश लेने के तीन माह बाद भी अबतक हमें इसका लाभ नहीं उठा पाए। साथ ही प्रोफेसरों की कमी ने तो पढ़ाई पर सवालिया निशान लगा रखा है।
इसी बीच ललित रजक नामक बीए प्रथम वर्ष के एक छात्र ने मुख्य द्वार के बांयी ओर लगे सीसीटीवी कैमरे की ओर इशारा करते हुए कहा, यह लगा तो है पर मजे की बात इसके कनेक्शन का अता-पता नहीं है।

रिक्त पद भरे तो मिले रोजगार, होगा सुधार
प्रथम वर्ष के छात्र चंद्रशेखर तिवारी ने उच्च शिक्षा विभाग में खाली पड़े पदों की गिनती गिनाते हुए कहा, प्रदेशभर में वर्षों से हजारों शिक्षकों का अभाव बना हुआ है, साथ ही यही स्थिति गैर-शैक्षणिक पदों पर भी बनी हुई है। ऐसे में यदि इन पदों को भर दिया जाए, तो बेरोजगारी तो दूर होगी ही, साथ ही शिक्षा गुणवत्ता में भी सुधार हो सकेगा।

एक नजर रिक्त पदों पर
पद स्वीकृत कार्यरत
स्नातकोत्तर प्राचार्य 47 1
स्नातक प्राचार्य 169 104
प्राध्यापक 525 0
सहायक प्राध्यापक 3439 2171
खेल अधिकारी 115 53
ग्रंथपाल 123 65
रजिस्ट्रार 18 9
हॉस्टल अधीक्षक 32 25
सहायक ग्रेड(1,2,3) 699 448
लैब तकनीशियन 826 587

कक्षा तीन, कमरे दो
इसी बीच बाइक पर बैठे छात्र अभिषेक साहू ने दबी जुबान से कक्षाओं की कमी की ओर इशारा किया, उनका कहना था कि बीए के तीनों संकाय के लिए कालेज में सिर्फ दो ही कमरे हैं। इसमें भी एक कमरे को सेकंड इयर के विद्यार्थियों के लिए तय कर दिया गय है और प्रथम व तृतीय वर्ष के छात्र सामूहिक रूप से एक ही कमरे में पढ़ाई करते हैं। इस दौरान 400 से अधिक विद्यार्थियों के बीच बैठकर ब्लैक बोर्ड तक देखना मुश्किल हो जाता है।

विकास की रफ्तार से संतोष
दोपहर बाद करीब 3 बजे हम पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय पहुंची। यहां परिसर में जाते ही दशहरे की छुट्टियों के कारण चहल पहल कम थी। फिर भी डाकघर के बगल में रिफ्रेशमेंट प्वाइंट पर एम.कॉम. के छात्र नीरज सेन और मंजी राजपूत आपसी चर्चा में मशगूल दिखे। उन्होंने मौजूदा विकास कार्यों के प्रति खुशी जाहिर करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में भी विकास की रफ्तार धीमी तो है पर कौन सी ऐसी सरकार है, जो आते ही सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर देगी।

शिक्षाकर्मियों से नाखुश
अभिषेक राव ने फिर से नीति निर्धारण करने वालों की कार्यशैली पर प्रश्न-चिन्ह लगाते हुए कहा, आनन-फानन में शिक्षाकर्मियों की भर्तियां तो की, पर योग्यता की जांच करना जिम्मेदारों ने जरूरी नहीं समझा। ऐसे में जिन्हें हिंदी और अंग्रेजी तक नहीं आती, उन्हें शिक्षा की नींव रखने की जिम्मेदारी दी गई है। कक्षा आठवीं तक सभी छात्रों को जबरन पास करने की नीति ने शिक्षा के स्तर को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उस युवा ने रोजगार के लिए निकाली जा रही रिक्तियों में कमियों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा, कि विभिन्न उच्च शैक्षणिक संस्थानों से हजारों युवा उत्तीर्ण हो रहे हैं, जबकि रोजगार की संख्या बढऩे के बजाए घटती जा रही है। इसका प्रमाण एसआइ और राज्य सेवा के लिए पदों की संख्या से मिलता है। ऐसे में पहली बार के मतदाता तो मौजूदा व्यवस्था के विपरीत ही दिखाई दे रहे हैं।

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