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रायपुर

संस्करीति ल सहेज के रखव

बिचार

रायपुरOct 30, 2018 / 08:12 pm

Gulal Verma

cg news

संस्करीति ल सहेज के रखव

सबो छेत्र के अलग- अलग संस्करीति होथे। जेन ल सब सहेज के रखथं। अपन संस्करीति अपन अभियान होथे। अपन अस्मिता अउ संस्कार के रक्छा सब करथें। अपन मूल संस्करीति ल संजो के रखे बर चाही। कोनो दूसर डहर ले अवइयामन अपन संग अपन संस्करीति ल धरके आथें अउ मूल निवासीमन संग मिल जाथे। अपन संस्करीति ल संजो के रखथें अउ मूल निवासीमन संग मिल के उंकर संस्करीति म घुलथें-मिलथें तब जाके अपन आप ल अवइयामन संस्करीति के रक्छा करइयाा बनथें।
छत्तीसगढ़ म सबो परकार के मनखे निवास करथे। सबके अलग-अलग खानपान, रहन-सहन, लोककला आदि हवय। दूसर डहर ले अवइयामन इहां के रंग म रंगत जावत हें। हमर संस्करीति हमर धरोहर ए। हमर भाखा हमर अभिमान ए। नवा पीढ़ी के खातिर संस्करीति के रक्छा जरूरी हे। फेर, पस्चिमी सभ्यता म हमन अपन मूल संस्करीति ल भूलत जावत हंन।
आज के युवा पीढ़ीमन अपन संस्करीति ल भूलके पस्चिमी संस्करीति ल अपनात हवंय। ऐकर बर हमर मूल संस्करीति म थोर-बहुत बदलाव करे के जरूरत हे। संस्करीति याने अपन भाखा, संस्कार, रीति-रिवाज, खानपान, रहन-सहन आदि ले हवय। सबके संरक्छन करके के जिम्मेदारी सरकार अउ समाज के हे। अपन लोककला अउ संस्करीति ल बगराय बर चाही। सब जानहीं, पढ़ही त जाके समझहीं।
छत्तीसगढ़ के मूल संस्करीति पुरखामन के देन हरय। चार कोस म पानी बदलथे, आठ कोस म बानी। इहां कतकोन किसम के बोली बोले जाथे। हमर भासा, तीज-तिहार, लोककला, लोक संस्करीति, लोकगीत-संगीत, लोकखेल ल सहेज के रखे बर चाही। हमन ल जउन अपन पुरखा ले मिले हावय वोला अवइया पीढ़ी ल देय के जिम्मेदारी हमरमन के हे।
हमर संस्करीति ह हमर मूल अस्तित्व के बखान करथे। फेर, आज हमन अंगरेजी भासा अउ पस्चिमी संस्करीति कोती भागत हंन। हमर बिकास तो हमर भासा अउ संस्करीति ले तको हो सकथे। जापान अउ चीन जउसे देस ऐकर साक्छात उदाहरन हे।

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