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रायपुर

बेटा-बेटी के भेदभाव ल मिटाव

बिचार

रायपुरApr 18, 2019 / 05:30 pm

Gulal Verma

cg news

बेटा-बेटी के भेदभाव ल मिटाव

देस-समाज म नारीमन के खिलाफ अतिचायर, अनाचार, भेदभाव, हिंसा बाढ़ते जावत हे। बेटी- बेटा म भेदभाव महाभारत के समे कौरव-पांडवमन करीन। नीति अउ चरित वाला युधिस्ठिर ह दुरपति ल दांव म लगादीस। अनीत अउ चरितहीन दुसासन ह भरे दरबार म वोकर लुगरा ल खिंचिस। कोनो चंडाल दुसासन अउ घमंडी दुरयोधन ल मना नइ कर सकिन। इही किसम ले नारीमन के दुरदसा आजो समाज म होवत हे।
सिक्छा बाढ़े अउ आधुनिकता आय के बाद घलो जादा समाज म बेटा अउ बेटी म भेदभाव करे जाथे। लोगनमन सोचथे कि बेटी पढ़ के काय करही, आखिर वोहा एक दिन ससुरार तो जाही। बेटा ह पढ़-लिख के कुल के नांव अलख जगाही। वंस ल आगू बढ़ाही। अइसने सोच के सेती कतकोनझन बेटा ल पढ़ाथें अउ बेटी ले घर के काम-बुता कराथें। हद तो ए हावय के नारीमन खुदे नारीच के दुस्मन बने बइठे हें। अइसन म नारीमन संग होवत भेदभाव अउ जानवर कस होवत बेवहार के समसिया ल खतम करे बर समाज म जागरुकता लाय के खच्चित जरूरत हे।

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