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रायपुर

नदागे पनवार पलटे के रिवाज

संस्करीति

रायपुरMay 17, 2021 / 04:31 pm

Gulal Verma

नदागे पनवार पलटे के रिवाज

नदागे पनवार पलटे के रिवाज

एक जमाना रहिस जब बर बिहाव म अलग–अलग जात-बिरादरी के मुताबिक खान -पान व रीति रिवाज अउ परंपरा दिखई देवय। जात, जगा के मुताबिक रोटी-पिठा समाज के आगू दिखई दे। अइसने एक परथा बेटी बिहाव के सोभा बढ़ाय। ‘पनवार पलटे’ के रोचक नेग चार के जरिए ये रिवाज समाज के बड़े -बड़े रसूखदार, ज़मीदार, बामहन, ठाकुर समाज के खच्चित परथा रिहिस। जो बेटी बिहाव म बर पक्छ के सम्मान म रिवाज के रूप म चलत रिहिस।
बारात के बिदागरी से पहिले बिहाव मंडप म बर पक्छा के जम्मो बड़े, सियान, समधि वोकर मान-दान के संग ‘पनवार भोज’ के परथा रिहिस।
ऐकर अलावा ये भोज म वो मनखे ल घलो संघारे जावत रिहिन जउन सगा-संबंधी हो या न हो, फेर बने अउ तगड़ा खुराकी हो जो पनवार पलटे के छामता रखत हो । बर पक्छ कोती ले पनवार जिमे बर बइठ सके। पनवार बिहाव के बाद एक रोचक खेल कस होवय। जेमा पनवार खवइया अउ बेटी के घर के माइलोगन के बीच एक खेल कस होवय।
एक बडक़ा कुरिया या अंगना म ऐकर इंतजाम के जात रिहिस। दुलहिन पक्छ के मनखे सम्मानित सब्बो समधि पक्छ के हाथ गोड़ धोवा के पटा आसन म परघाय। बिहाव के छप्पन भोग म झेलनाही, सोहारी, बरा, जिमिकांदा, कढ़ी अउ किसम-किसम के मिठई, लड्डू, पपची, पिडिय़ा, खाजा, सजा के परोसे जाय। जो मनखे विसेस रूप से ‘पनवार पलटे’ म सिद्घ हस्त रहे वोकर बर बड़े कोपरा या परात, कांसा के थाली म सामान्य थारी से चार-पांच गुना कलेवा पतेवा संग भोजन परसे जाय।
मान्यता ये रिहिस कि यदि परसे थाल ले अतका परसे जाय कि पनवार खवइया खा झन सके अउ वोकर से झूठा छूट जाय। तब घर के माइलोगिनमन के जीत अउ अगर पनवार परोसे सब्बो जिनिस ल खाके खाली कोपरा या थारी ल पलट दे तो पनवार खवइया के जीत माने जाय।
परदा के आड़ म महिला संगीत ढोलक मंजीरा के थाप म ‘गारी गावत’ जाय। पूरा पनवार दौर तक गारी बिन रुके गाए जात रिहिस। थोरको थोरको रुकय त समधि पक्छ ले कटाक्छ आ जाय। हंसी, ठठ्ठा, दिल्लगी के संग ये रिवाज सम्पन्न हो जाय। पनवार पलटे के परतियोगी ल अब्बड़ मान-सम्मान के संग पनवार पलटे के नेग दुलहिन पक्छ द्वारा दिये जात रहिस। अब ये नेगा, रिवाज ह नदा गे हावय।
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