दोनों नेताओं ने कहा कि एससीएसटी एक्ट में बदलाव को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है। सरकार वंचित वर्ग की नाराजगी को संभाल पाने में नाकाम साबित हुई है। शिशुपाल सोरी ने कहा कि जिस मंशा के साथ वंचित वर्ग के लिए कानून बनाया गया था उसका ख्याल रखना चाहिए। आज भी आदिवासी और दलित वर्ग को प्रताडि़त किया जा रहा है।
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शिशुपाल ने कहा कि सरकार जनता के सवालों का जवाब दे नहीं तो 2018 में जनता जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि दलितों और आदिवासी की बातों को सरकार सुन नहीं रही है। आदिवासी सलाहकार परिषद की न तो बैठक हो रही है और न ही कोई चर्चा हो रही है।
शिवकुमार डहरिया ने कहा कि भाजपा के 22 राज्यों के मुख्यमंत्री ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है, लेकिन पीएम मोदी कहते हैं कि इससे लेकर अध्यादेश लाया जाएगा। 2 अप्रैल को जो हिंसा हुई है उसके लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। संविधान को कमजोर करने की कोशिश भाजपा सरकार करती है। कांग्रेस पार्टी दलित और वंचित वर्ग के साथ है।
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डहरिया ने कहा कि संविधान के साथ किसी भी तरह का कोई खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। हमारी यही मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाने की बजाए एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ सरकार अध्यादेश लाए।