अलग-अलग शहरों में ठहरते हैं। इसके बाद रेकी करके चोरियां करते हैं। कई बार रात में किसी मकान या दुकान में ताला लगे नजर आए, तो अचानक भी चोरी कर लेते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि ठंड के मौसम में आउटर की कॉलोनियों में रात होते ही चहल-पहल कम हो जाती है। इस कारण उन्हें आसानी से वारदात करने का मौका मिलता है।
ये गिरोह रहते हैं सक्रिय: राजधानी सहित आसपास के शहरों में चोरी करने के लिए झारखंड का साहिबगंज, बिहार का चादर गैंग, इटारसी-भोपाल का ईरानी गैंग, मध्यप्रदेश के सोनझरा, धार का पत्थर गैंग, बावरिया, कंजर, भील, नट, चड्डी-बनियान, पारधी गैंग आदि चोरी और डकैती करने निकलते हैं। पुलिस से बचने के लिए ये गिरोह वारदात के समय मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
शादी में शामिल होकर दुल्हा-दूल्हन को मिले गिफ्ट या जेवर से भरा बैग करते हैं पार ठंड के साथ ही शादियों का सीजन भी शुरू हो रहा है। शादी के कार्यक्रम और रिसेप्शन में चोरियां करने वाला सूट-बूट गैंग भी सक्रिय हो जाता है। अच्छ कपड़े या सूट-बूट पहनकर शादी के कार्यक्रम में शामिल होते हैं। मौका देखकर दुल्हा-दूल्हन को मिले गिफ्ट या बैग में रखे जेवर-नकदी को पार करते हैं। राजधानी में हर साल ऐसी घटना होती है।
नहीं सुलझ पाते प्रकरण चोरियों के अधिकांश मामले सुलझ नहीं पाते हैं। वर्ष 2022 में 1624 चोरियां और 545 नकबजनी हुई थी। इनमें से 367 चोरियों के आरोपी पकड़े गए थे। नकबजनी के 179 मामलों के आरोपी पकड़े गए थे। वर्ष 2021 में 1462 चोरियां हुईं, जिसमें से 219 मामलों के आरोपी पकड़े गए। इसी तरह नकबजनी की 514 एफआईआर हुई, जिसमें से 146 मामलों के आरोपी पकड़े गए।
आउटर के इलाकों में गश्त बढ़ाने के लिए कहा गया है। मुखबिरों को भी अलर्ट किया गया है। स्थानीय चोर गिरोह पर भी नजर रखा जा रहा है।
– दिनेश सिन्हा, डीएसपी-क्राइम, रायपुर